महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है, जिसके
बारे में सबसे ज्यादा चर्चा की जाती है। इस ग्रंथ से जुड़ी मान्यताओं और महाभारत
काल से जुड़े स्थानों के बारे में भी हर दिन नई-नई जानकारियां पता चलती रहती हैं।
महाभारत में कई रहस्य छिपे हुए हैं, जिनके
बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है।
यह बात तो सभी ही पता होगा कि जब युधिष्ठिर को युवराज घोषित
किया गया,
तो दुर्योधन को ये बात
बिलकुल पसंद नहीं आई और उसने ईर्ष्या के कारण पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह
बनवाया था। आज हम आपको बताने जा रहा है कहां बनवाया गया था वो लाक्षागृह और आज वो
कहां मौजूद है।
कहां बनवाया गया था लाक्षागृह
उसने
छल से पांडवों को माता कुंती के साथ मेला देखने जाने के लिए कहा और उनको विश्राम
करने के लिए लाक्षागृह में जाने के लिए कहा। ताकि वो उनको मोम, लाक आदि से बने इस महल में जलाकर मार सके। लेकिन विदुर ने
अपनी दिव्य दृष्टि से इसके बारे में पांडवों को समय रहते सूचित कर दिया और
दुर्योधन की ये चाल असफल हो गई।
वैसे
तो लाक्षागृह जल कर खाक हो गया था लेकिन आज भी वो जगह मौजूद है, जहां दुर्योधन ने लाक का यह महल बनवाया था। आज हम आपको उसी
जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड में
लाखामंडल की पौराणिक गुफा स्थित है, जहां
लाक्षागृह का निर्माण किया गया था।
प्राकृतिक
सुंदरता के बीच सुन्दर वादियों में बसा लाखामंडल गांव यमुना नदी के किनारे बसा है।
बेहद ही खूबसूरत और आकर्षित करने वाला यह स्थान गुफाओं और शिव मंदिर के प्राचीन
अवशेषों से घिरा हुआ है।
लाखामंडल गांव में बनाया गया था लाक्षागृह
लोगों
का मानना है कि लाक्षागृह, लाखामंडल
के आस-पास ही निर्मित हुआ था। महाभारत के अनुसार, जब
लाक्षागृह को जला दिया गया था, तब
पांडवों ने एक सुरंग की मदद से अपने प्राणों की रक्षा की थी। ऐसी मान्यता है कि वह
सुरंग एक गुफा के पास पर जा कर खुलती है, जो
अभी भी लाखामंडल में मौजूद है।
यहां मौजूद है प्राचीन शिव
मंदिर, युधिष्ठिर
ने की थी स्थापना
यहां
स्थित भगवान शिव के मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि यहां प्रार्थना करने से
व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण ग्रेफाइट से
बना शिवलिंग है। यहां पर खुदाई करते वक्त विभिन्न आकार के और ऐतिहासिक कई शिवलिंग
मिले हैं।
ऐसी
मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास के समय धर्मराज युधिष्ठिर ने की
थी। इस शिवलिंग की विशेषता यह है कि जब इसका जलाभिषेक किया जाता है, तो यह चमकता है और इसमें जलाभिषेक कर रहा भक्त अपना
प्रतिबिंब भी इसमें देख सकता है।
मंदिर के द्वारपालों को लेकर
प्रसिद्ध है ये मान्यता
मुख्य
मंदिर के पास ही दो मूर्तियां स्थित हैं, जिनको
द्वारपाल भी कहा जाता है। लोगों का मानना है कि ये मूर्तियां भीम और अर्जुन की
हैं। द्वारपालों की इन मूर्तियों को लेकर कहा जाता है कि मृत व्यक्ति का शरीर अगर
इनके पास रख दिया जाए, तो
वह कुछ पलों के लिए जीवित हो जाता है।
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