Monday, November 6, 2017

ग्रंथों में इन 5 विवाहिताओं को माना गया है कुंवारी, ये है इसका कारण

अहिल्या द्रोपदी कुन्ती तारा मन्दोदरी तथा
पंचकन्या स्वरानित्यम महापातका नाशका

अहिल्या द्रोपदी कुंती तारा और मंदोदरी के बारे में कहा जाता है कि इनका स्मरण भी महापापों को भी खत्म करने में सक्षम हैं। इन पांच को अक्षतकुमारी माना गया है। इस श्लोक में इन पात्रों के लिए कन्या शब्द का उपयोग किया गया है, नारी शब्द का नहीं। आश्चर्य की बात ये है कि ये पांचों विवाहित तो हैं ही साथ ही इनके अपने पति के अलावा अन्य पुरुष से भी संबंध हुए हैं। प्रश्न ये उठता है कि विवाहिता होते हुए भी इन्हें कौमार्या क्यों माना गया है। आइए डालते हैं इन 5 के चरित्र पर एक नज़र कि कौन हैं ये पांचों और क्या थी इनकी विशेषता साथ ही इनका स्मरण क्यों माना गया है महापापों को नाश करने वाला
अहिल्या-पद्मपुराण के अनुसार ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या बहुत सुंदर थी। एक बार देवराज इंद्र यहां वहां घूम रहे थे तभी उनकी नज़र देवी अहिल्या पर पड़ी और वे उन पर मोहित हो गए। एक बार जब गौतम ऋषि सुबह अपने स्नान और पूजन के लिए घर से निकले तो उनका रूप बनाकर इंद्र वहां पहुंच गया। गौतम ऋषि को देखकर अहिल्या ने उनसे पूछा कि आप इतनी जल्दी कैसे लौट आए तब इंद्र ने उनसे प्रणय निवदेन किया। अहिल्या अपने पति से बहुत प्रेम करती थी। इंद्र ने मौके का फायदा उठाकर अहिल्या से संबंध बनाए। तभी ऋषि गौतम भी लौट आए और उन्होंने अपनी पत्नी को जब दूसरे पुरुष के साथ देखा तो क्रोध से अहिल्या को पत्थर होने का शाप दिया और इंद्र को भी शाप दिया। जब क्रोध शांत होने पर उन्हें पूरा सच समझ आया तो उन्होंने अहिल्या को राम के पैरों से स्पर्श होने पर इस शाप से मुक्ति का आशीर्वाद दिया। अहिल्या अपने पति के प्रति पूरी तरह निष्ठावान थी। यही कारण था कि अपनी गलती न होने पर भी उनके दिए शाप को उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसलिए उन्हें कौमार्या माना गया है।
तारा-तारा सुग्रीव के भाई बालि की पत्नी थी। माना जाता है कि तारा समुद्र मंथन से निकली थी और भगवान विष्णु ने उसका विवाह बालि से करवाया था। एक बार जब बालि असुर से युद्ध करने गया और वापस नहीं लौटा तो सभी ने उसे मृत मान लिया। सुग्रीव ने तारा को अपनी पत्नी बनाकर साथ रख लिया और राज्य संभाल लिया। जब बालि वापस लौटा तो उसने सुग्रीव से युद्ध किया और उसकी पत्नी को अपने पास रखकर सुग्रीव को राज्य से निकाल दिया। जब श्रीराम की शरण मिलने पर सुग्रीव ने वापस बालि को युद्ध के लिए ललकारा तो तारा समझ गई की सुग्रीव को किसी का साथ मिल गया है वह अकेला नहीं है। इसलिए उसने बाली को समझाने की कोशिश की। बालि को लगा तारा सुग्रीव का साथ दे रही है इसलिए उसने तारा का त्याग कर दिया। सुग्रीव से युद्ध किया और श्रीराम ने उसका वध कर दिया। मरते समय बालि ने सुग्रीव से कहा हर बात में तारा से विचार-विमर्श करना और उसकी राय को महत्व देना। तारा ने हर परिस्थिति में अपने पति के लिए अच्छा चाहा। उसने कभी सुग्रीव का साथ नहीं चाहा, लेकिन फिर भी जब बाली ने उसका त्याग किया तो उस त्याग को बिना कुछ कहे स्वीकार कर लिया। यही कारण है कि उनकी पवित्रता को कन्याओं के समान माना गया है।
मंदोदरी-मंदोदरी तीसरा नाम है। मंदोदरी के सौंदर्य को देखकर रावण ने उससे विवाह किया। मगर मंदोदरी बहुत बुद्धिमान थी। उसने हर कदम पर रावण को समझाया क्या सही है और क्या गलत, लेकिन उसने कभी बात नहीं मानी। रावण की मौत के बाद श्रीराम के कहने पर विभीषण ने मंदोदरी को आश्रय दिया। मंदोदरी के इसी गुण के कारण उन्हें महान माना गया है और उनकी पवित्रता को कन्याओं के तुल्य माना गया है।
कुंती-रामायण काल के बाद चौथा नाम आता है कुंती का। हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी और तीन पांडवों की माता कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक ऐसा मंत्र दिया था। जिसके उपयोग से वह जिस भी देवता का ध्यान कर उस मंत्र का जप करेंगी, वह देवता उन्हें पुत्र रत्न प्रदान करेंगा। उस समय कुंती की उम्र काफी कम थी। कुंती उस मंत्र को परखना चाहती थी। उन्होंने सूर्य का ध्यान किया सूर्य प्रकट हुए और उन्हें पुत्र प्रदान किया। इस तरह कर्ण का जन्म हुआ। इसलिए उन्हें कर्ण का त्याग करना पड़ा। स्वयंवर में कुंती और पांडु का विवाह हुआ। पांडु को एक शाप था कि वह स्त्री को स्पर्श करेंगे तो मृत्यु हो जाएगी। पांडु की मृत्यु के बाद कुरु वंश खत्म न हो जाए और राज्य अनाथ न हो इसलिए कुंती ने धर्म देव से युधिष्ठिर, वायुदेव से भीम और इंद्र देव से अर्जुन को पाया। यही कारण है कि अलग-अलग देवताओं से संतान पाने के बाद भी कुंती को कौमार्या माना गया है।

द्रौपदी-द्रौपदी महाभारत की नायिका है। पांच पतियों की पत्नी बनने वाली द्रौपदी का व्यक्तित्व काफी मजबूत था। स्वयंवर के दौरान अर्जुन को अपना पति स्वीकार करने वाली द्रौपदी को कुंती के कहने पर पांचों भाइयों की पत्नी बनकर रहना पड़ा। जीवनभर द्रौपदी ने पांचों पांडवों का हर परिस्थिति में साथ दिया। यदि द्रोपदी किसी एक पांडव के साथ रहने की जिद करती तो शायद भाईयों में कभी ऐसा प्रेम और सामांजस्य नहीं रह पाता। इसलिए अपनी खुशी के विपरित अपने कुल और राज्य के भविष्य के लिए कुंती ने पांचों पांडवों की पत्नी होने का निर्णय लिया। इसलिए उनके स्मरण से पाप का नाश होता है। यहां बताई गई सभी स्त्रियों ने हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से किया है। इसलिए इन पांचों का स्मरण करना धर्म ग्रंथों में महापाप को नाश करने वाला माना गया है।

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