Friday, September 8, 2017

आखिर पितृ पक्ष में कौए को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है?

श्राद्ध पक्ष शुरू हो चुका है। इसे पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इन दिनों में कौवों को पितरों का प्रतीक मानकर भोजन कराया जाता है। यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि आखिर भोजन कौए को ही क्यों दिया जाता है। यहां कुछ ऐसे ही जवाब और रेयर फैक्ट्स हम दे रहे हैं, जिससे आप जान सकेंगे कि भारत के अलावा दूसरी प्राचीन सभ्यताओं में भी कौए को महत्व दिया गया है और पौराणिक कथाओं में कब-कब कौओं का जिक्र आया है। गरुड़ पुराण में बताया है कि कौएं यमराज के संदेश वाहक होते हैं। श्राद्ध पक्ष में कौएं घर-घर जाकर खाना ग्रहण करते हैं, इससे यमलोक में स्थित पितर देवताओं को तृप्ति मिलती है।

मैं कौन हूं, कहां से आया हूं, कहां जाऊंगा, जैसे प्रश्न जन्म के समय से हमारे मन में आ जाते हैं, लेकिन हम बाहरी दुनिया में जीवन गुजारने में लगे रहते हैं। कौए की आवाज़ इन्हीं प्रश्नों का हमें स्मरण कराती है, जिससे हम खुद का निरीक्षण कर सकें।

ग्रीक माइथोलॉजी में रैवन (एक प्रकार का कौवा) को गुड लक का सिम्बल माना गया है। इसे गॉड का मैसेंजर कहा गया है। इसे दुनिया का निर्माण करने वालों में से एक बताया गया है।नोर्स माइथोलॉजी में दो रैवन (एक प्रकार का कौवा) हगिन और मुनिन का जिक्र मिलता है। इन्हें ईश्वर के प्रति उत्साह का प्रतीक बताया गया है। इजिप्शियन माइथोलॉजी में आत्मा के तीन रूप माने गए हैं। ये 'का', 'बा' और 'अख' होते हैं। इनमें 'का' को प्राणशक्ति बताया गया है। 'का' के निकलते ही व्यक्ति प्राणहीन हो जाता है।

मरूता नाम के राजा एक बार यज्ञ कर रहे थे। इसमें इंद्र सहित सभी देवता शामिल हुए। इसमें देवताओं का दुश्मन रवाना (कौए की तरह दिखने वाला एक पक्षी) भी यहां आ गया। फिर इंद्र ने मोर, कुबेर ने गिरगिट, वरुण ने श्वान और यम ने कौए का रूप धारण कर कर उसे भगाया और फिर मूल रूप में वापस लौट आए। उन्होंने अपनी जान की रक्षा करने के लिए कौए, गिरगिट और श्वान को वरदान भी दिया। यम ने कौए को वरदान दिया कि तुम्हें दिया भोजन पूर्वजों की आत्मा को भी शांत करेगा।

राम ने दिया वरदान
हिन्दू पुराणों में कौए को देवपुत्र माना गया है। एक कथा है कि इन्द्र के पुत्र जयंत ने ही सबसे पहले कौए का रूप धारण किया था। त्रेता युग की घटना कुछ इस प्रकार हैं - जयंत ने कौऐ का रूप धर कर माता सीता को घायल कर दिया था। तब भगवान श्रीराम ने तिनके से ब्रह्मास्त्र चलाकर जयंत की आंख को क्षतिग्रस्त कर दिया था। जयंत ने अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगी, तब राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलेगा।
https://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DHAJ-significance-of-crow-during-pitru-paksha-shradh-5687863-PHO.html

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