कहते हैं रोज नियमित रूप से
भगवान की पूजा व आराधना से मानसिक शांति मिलती है। पूजा से मिलने वाली इस ऊर्जा से
व्यक्ति अपना काम और अधिक एकाग्रता से करने लगता है, लेकिन
पूजा का पूरा फल मिले इसके लिए यह आवश्यक है कि पूजन घर ऐसा हो जिससे सुख-समृद्धि
बढ़े।
मयमतम ग्रंथ के अनुसार पूजा घर ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व
में होना चाहिए,क्योंकि इस कोण में बैठकर पूर्व
दिशा की तरफ मुंह करके पूजन करने से स्वर्ग में स्थान मिलता है, इसका कारण है यहां अधिक
सकारात्मक ऊर्जा का होना। दरअसल, ईशान्य
सात्विक ऊर्जाओं का प्रमुख स्त्रोत है।
जिस घर में ईशान्य कोण में
दोष होगा उसके निवासियों को दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। इसलिए घर के इस
कोने की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मान्यता है कि पूजा घर के ईशान कोण
यानी उत्तर-पूर्वी कोने में झाडू व कूड़ेदान आदि नहीं रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और
बरकत नहीं रहती है। इसलिए अगर संभव हो तो पूजा घर को साफ करने के लिए एक अलग से
साफ कपड़े को रखें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार
यदि भवन के किसी भी दिशा या कोण में कोई दोष होता है तो इसके कई दुष्परिणाम भवन में
रहने वाले लोगों को प्रभावित करते हैं। यदि किसी भवन में ईशान दिशा में कोई दोष है
जैसे- ईशान कोण कटा हुआ है, यहां
शौचालय, रसोई या अन्य कोई दोष है तो इसके लिए नीचे लिखे उपाय करने
चाहिए। ईशान कोण के स्वामी भगवान शिव है।
ईशान कोण में दोष होने पर भगवान शिव की पूजा करना चाहिए।
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