Tuesday, September 19, 2017

ग्रंथों में बताए गए हैं चार युग, ये है इन युगों से जुड़े अनोखे रहस्य

ज्योतिष ग्रंथ सूर्य सिद्धांत व अन्य पुराणों के अनुसार एक तिथि वह समय होता है, जिसमें सूर्य और चंद्र के बीच का देशांतरीय कोण बारह अंश बढ़ जाता है। तिथियां दिन में किसी भी समय आरंभ हो सकती हैं और इनकी अवधि उन्नीस से छब्बीस घंटे तक हो सकती है। पंद्रह तिथियों का एक पक्ष या पखवाड़ा माना गया है। शुक्ल और कृष्ण पक्ष मिलाकर दो पक्ष का एक महीना। फिर दो महीने की एक ऋतु और इस तरह तीन ऋतुएं मिलकर एक अयन बनता है और दो अयन यानी उत्तरायन और दक्षिणायन। इस तरह दो अयनों का एक वर्ष पूरा होता है।15 मानव दिन एक पितृ दिवस कहलाता है यही एक पक्ष है। 30 पितृ दिवस का एक पितृ मास यानी महीना कहलाता है। 12 पितृ मास का एक पितृ वर्ष यानी पितरों का जीवनकाल 100 का माना गया है तो इस मान से 1500 मानव वर्ष हुए और इसी तरह पितरों के एक मास से कुछ दिन कम यानी मानव के एक वर्ष का देवताओं का एक दिव्य दिवस होता है, जिसमें दो अयन होते हैं पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। तीस दिव्य दिवसों का एक दिव्य मास यानी महीना। बारह दिव्य महीनों का एक दिव्य वर्ष कहलाता है।
1.    4800 दिव्य वर्ष अर्थात एक कृत युग (सतयुग)। मानव वर्ष के मान से 1728000 वर्ष।

2.    3600दिव्य वर्ष अर्थात एक त्रेता युग। मानव वर्ष के मान से 1296000 वर्ष।

3.    2400दिव्य वर्ष अर्थात एक द्वापर युग। मानव वर्ष के मान से 864000 वर्ष।

4.    1200 दिव्य वर्ष अर्थात एक कलि युग। मानव वर्ष के मान से 432000 वर्ष।

12000 दिव्य वर्ष यानी 4 युग यानी एक महायुग जिसे दिव्य युग भी कहते हैं। आइए जानते हैं इन युगों से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो कम ही लोग जानते हैं....

सतयुग
17,28,000 वर्ष के सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फिट और उम्र 100000 वर्ष की बताई गई है। इसका तीर्थ पुष्कर और अवतार मत्स्य, हयग्रीव, कूर्म, वाराह, नृसिंह हैं। इस युग में जन्म लेने वाला पाप 0% जबकि 100 प्रतिशत पुण्य कर्म करता है। इस युग की मुद्रा रत्नों की और बर्तन सोने के हुआ करते थे।
त्रेतायुग
12,96,000 वर्ष की कालावधि का त्रेतायुग तीन पैरों पर खड़ा है। इस युग में मनुष्य की आयु 10000 वर्ष और लंबाई 21 फिट की बतायी गई है। इसका तीर्थ पुष्कर और अवतार वामन, परशुराम और राम हैं। इस युग में पाप 25% जबकि पुण्य कर्म 75% होते हैं। रत्नों की मुद्रा और चांदी के पात्रों का चलन रहता है।
द्वापरयुग
8.64,000 वर्ष का समय लिए द्वापरयुग दो पैरों पर खड़ा है। इस युग में इंसान की आयु 1000 वर्ष और लंबाई 11 फिट बताई गई है। इस युग का तीर्थ कुरुक्षेत्र और अवतार भगवान श्रीकृष्ण हैं। इस युग में पाप कर्म 50% और पुण्य भी 50% होते हैं। इस युग चांदी की मुद्रा और तांबे के पात्र चलन में रहते हैं।
कलियुग
4,32,000 वर्ष समय का कलियुग को एक पैर पर खड़ा बताया गया है। इस युग में मनुष्य की आयु 100 वर्ष और लंबाई 5 फिट 5 इंच बताई गई है। इसका तीर्थ गंगा और अवतार बुद्ध व कल्कि बताए गए हैं। इस युग में पाप कर्म 75% और पुण्य कर्म 25% होते हैं। इस युग की मुद्रा लोहा और पात्र मिट्टी के हैं।

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