दान को हमारे धर्म का एक
महत्वपूर्ण अंग माना गया है। शास्त्रों के अनुसार हमारे यहां गौसेवा को धर्म के
साथ ही जोड़ा गया है। गौसेवा भी धर्म का ही अंग है। गाय को हमारी माता बताया गया
है। ऐसा माना जाता है कि गाय में हमारे सभी देवी-देवता निवास करते हैं। इसी वजह से
मात्र गाय की सेवा से ही भगवान प्रसन्न हो जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही
गौमाता की भी पूजा की जाती है। भागवत में श्रीकृष्ण ने भी इंद्र पूजा बंद करवाकर
गौमाता की पूजा प्रारंभ करवाई है। इसी बात से स्पष्ट होता है कि गाय की सेवा कितना
पुण्य का अर्जित करवाती है। गाय के धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए कई घरों
में यह परंपरा होती है कि जब भी खाना बनता है पहली रोटी गाय को खिलाई जाती है। यह
पुण्य कर्म बिल्कुल वैसा ही है, जैसे
भगवान को भोग लगाना। गाय को पहली रोटी खिला देने से सभी देवी-देवताओं को भोग लग
जाता है। वे प्रसन्न रहते हैं और घर
में सुख व शांति बनी रहती है।
सभी जीवों के भोजन का ध्यान
रखना भी हमारा ही कर्तव्य बताया गया है। इसी वजह से यह परंपरा शुरू की गई है।
पुराने समय में गाय को घास खिलाई जाती थी, लेकिन
आज परिस्थितियां बदल चुकी है। जंगलों कटाई करके वहां हमारे रहने के लिए शहर बसा
दिए गए हैं। जिससे गौमाता के लिए घास आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती है और आम आदमी
के लिए गाय के लिए हरी घास लेकर आना काफी मुश्किल काम हो गया है। इसी कारण के चलते
गाय को रोटी खिलाई जाने लगी है।
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