Friday, March 24, 2017

मंत्र जप करने का क्या कारण है, जानें इस मान्यता का सही कारण

हिंदू धर्म में मंत्र जपने का बहुत महत्व है। मन को एक तंत्र में लाना ही मंत्र होता है। यदि आपके मन में एक साथ कई विचार चल रहे हैं तो उन सभी को समाप्त करके मात्र एक विचार को स्थापित करना ही मंत्र का लक्ष्य होता है।

यह लक्ष्य पाने के बाद आपका दिमाग एक ही दिशा में गति करने वाला होगा।जब ऐसा हो जाता है तो कहते हैं कि मंत्र सिद्ध हो गया। ऐसा मंत्र को लगातार जपते रहने से होता है। दरअसल, मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है तब वह सिद्ध होने लगता है। अब सवाल यह उठता है कि सिद्ध होने के बाद क्या होता है या कि उसका क्या लाभ?

मंत्र जप क्यों?
मं‍त्र से किसी देवी या देवता को साधा जाता है, मंत्र से किसी भूत या पिशाच को भी साधा जाता है और मं‍त्र से किसी यक्षिणी और यक्ष को भी साधा जाता है। 'मंत्र साधना' भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार है। यदि आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या या बाधा है तो उस समस्या को मंत्र जप के माध्यम से हल कर सकते हैं। मंत्र के द्वारा हम खुद के मन या मस्तिष्क को बुरे विचारों से दूर रखकर उसे नए और अच्छे विचारों में बदल सकते हैं।

किसी मंत्र, भगवान का नाम या किसी श्लोक का जप करना हिंदू धर्म में वैदिक काल से ही प्रचलित रहा है। जप-साधना में मंत्रों की निश्चित संख्या होती है। इसलिए जप में गणना जरूरी है। जप गणना के लिए माला का उपयोग किया जाता है। हिंदू शास्त्रों में जप करने के तरीके और महत्व को बताया गया है। कहते हैं कि बौद्ध धर्म के कारण यह परंपरा अरब और यूनान में प्रचलित हो गई।

 माला नियम
जप करते वक्त माला फेरी जाती है जिससे जप संख्या का पता चलता है। यह माला 108 मनकों की होती है। जिस माला से जाप करें, उसे दाहिने हाथ में रखना चाहिए। जप करते समय माला का भूमि पर स्पर्श नहीं होना चाहिए।
माला के प्रकार
रक्त चंदन, लाल चंदन, मूंगा, स्फटिक, रुद्राक्ष, काठ, तुलसी, मोती, कीमती पत्थर एवं कमल गट्टे आदि प्रकार की माला होती है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-GYVG-benefits-of-mantra-chanting-news-hindi-5512657-PHO.html

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