यदि परिवार में आपसी तालमेल
की कमी है तो सभी सदस्य अधिक समय एक साथ सुखी नहीं रह सकते हैं। परिवार में एकता
बनाए रखने के लिए इन तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1.मुखिया या बड़ों को चाहिए कि वे परिस्थितियों को बिगड़ने से रोकें।
2. निर्णयों में परिवार को पहले देखें, निजी हितों को बाद में।
3. अपने से छोटों को समझाएं कि परिवार का कोई भी निर्णय निजी नहीं होता।
जब तक परिवार के निर्णयों में निजी हित देखे जाते रहेंगे, तब तक परिवार के सभी सदस्य के बीच सुखद तालमेल नहीं बन सकता है। एक निजी फैसला भी परिवार के टूटने का कारण बन सकता है।
यहां बताई गई 3 बातों से रामायण में श्रीराम ने किस प्रकार अपने परिवार में एकता बनाई रखी,जानिए...
रामायण में जब श्रीराम को वनवास हो गया तो रघुवंश के सभी बड़े लोग शोकमग्र हो गए। परिवार में भारी मतभेद हो गया। दशरथ अलग पड़ गए, कैकयी को भलाबुरा कहा जाने लगा। कौशल्या श्रीराम के साथ वन में जाने को तैयार हो गईं। लक्ष्मण मरने-मारने के लिए तैयार हो गए। ये एक ऐसी घड़ी थी, जब पूरा रघुवंश बिखर सकता था। परिवार में फूट हो सकती थी, लेकिन ऐसी घड़ी में श्रीराम आगे आए। परिस्थितियों को अपने हाथों में लिया और बिगडऩे से रोका। छोटे भाई लक्ष्मण को समझाया, सभी बड़ों को दिलासा दिया। परिवार का हित देखते हुए श्रीराम ने सभी को यह भरोसा दिलाया कि वनवास के निर्णय पर उन्हें कोई शोक नहीं है। इस प्रकार श्रीराम के परिवार में एकता बनी रही।
हमेशा परिवार में लिए गए निर्णय में परिवार को हित पहले देखना चाहिए। कोशिश करें कि परिवार ना बिखरे, क्योंकि परिवार से बढ़कर कोई दूसरी संपदा नहीं होती।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-FMT-family-management-tips-for-unity-news-hindi-5533882-PHO.html1.मुखिया या बड़ों को चाहिए कि वे परिस्थितियों को बिगड़ने से रोकें।
2. निर्णयों में परिवार को पहले देखें, निजी हितों को बाद में।
3. अपने से छोटों को समझाएं कि परिवार का कोई भी निर्णय निजी नहीं होता।
जब तक परिवार के निर्णयों में निजी हित देखे जाते रहेंगे, तब तक परिवार के सभी सदस्य के बीच सुखद तालमेल नहीं बन सकता है। एक निजी फैसला भी परिवार के टूटने का कारण बन सकता है।
यहां बताई गई 3 बातों से रामायण में श्रीराम ने किस प्रकार अपने परिवार में एकता बनाई रखी,जानिए...
रामायण में जब श्रीराम को वनवास हो गया तो रघुवंश के सभी बड़े लोग शोकमग्र हो गए। परिवार में भारी मतभेद हो गया। दशरथ अलग पड़ गए, कैकयी को भलाबुरा कहा जाने लगा। कौशल्या श्रीराम के साथ वन में जाने को तैयार हो गईं। लक्ष्मण मरने-मारने के लिए तैयार हो गए। ये एक ऐसी घड़ी थी, जब पूरा रघुवंश बिखर सकता था। परिवार में फूट हो सकती थी, लेकिन ऐसी घड़ी में श्रीराम आगे आए। परिस्थितियों को अपने हाथों में लिया और बिगडऩे से रोका। छोटे भाई लक्ष्मण को समझाया, सभी बड़ों को दिलासा दिया। परिवार का हित देखते हुए श्रीराम ने सभी को यह भरोसा दिलाया कि वनवास के निर्णय पर उन्हें कोई शोक नहीं है। इस प्रकार श्रीराम के परिवार में एकता बनी रही।
हमेशा परिवार में लिए गए निर्णय में परिवार को हित पहले देखना चाहिए। कोशिश करें कि परिवार ना बिखरे, क्योंकि परिवार से बढ़कर कोई दूसरी संपदा नहीं होती।
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