हिंदू धर्म में भगवान को प्रसाद चढ़ाने की यानी भोग लगाने की परंपरा है। अधिकांश लोग रोजाना विधि-विधान से भगवान की पूजा भले ना करें, लेकिन अपने घर में भगवान को प्रसाद जरूर चढ़ाते है। दरअसल, इसके पीछे कारण यह है कि श्रीमद् भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो कोई भक्त प्रेमपूर्वक मुझे फूल, फल, अन्न, जल आदि अर्पण करता है। उसे मैं सगुण प्रकट होकर ग्रहण करता हूं।
धार्मिक कारण
भगवान की कृपा से जो जल और अन्न हमें प्राप्त होता है। उसे भगवान को अर्पित करना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ही भगवान को भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भोग लगाने के बाद ग्रहण किया गया अन्न दिव्य हो जाता है, क्योंकि उसमें तुलसी दल होता है। भगवान को प्रसाद चढ़े और तुलसी दल न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है। तुलसी को परंपरा से भोग में रखा जाता है।ऐसी भी मान्यता है कि भगवान को प्रसाद चढ़ाने से घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते हैं और कोई कमी नहीं आती है।
वैज्ञानिक कारण
इसका एक कारण तुलसी दल का औषधीय गुण है। एकमात्र तुलसी में यह खूबी है कि इसका पत्ता रोगप्रतिरोधक होता है। यानि कि एंटीबायोटिक है। इस तरह तुलसी स्वास्थ्य देने वाली है। तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु खत्म करता है। तुलसी के स्पर्श से भी रोग दूर होते हैं।तुलसी पर किए गए प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि ब्लड प्रेशर और डाइजेशन के नियमन व मानसिक रोगों में यह लाभकारी है। इसलिए भगवान को भोग लगाने के साथ ही उसमें तुलसी डालकर प्रसाद ग्रहण करने से भोजन अमृत रूप में शरीर तक पहुंचता है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-SAS-remedy-of-tulsi-news-hindi-5551708-PHO.html?ref=precoइसका एक कारण तुलसी दल का औषधीय गुण है। एकमात्र तुलसी में यह खूबी है कि इसका पत्ता रोगप्रतिरोधक होता है। यानि कि एंटीबायोटिक है। इस तरह तुलसी स्वास्थ्य देने वाली है। तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु खत्म करता है। तुलसी के स्पर्श से भी रोग दूर होते हैं।तुलसी पर किए गए प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि ब्लड प्रेशर और डाइजेशन के नियमन व मानसिक रोगों में यह लाभकारी है। इसलिए भगवान को भोग लगाने के साथ ही उसमें तुलसी डालकर प्रसाद ग्रहण करने से भोजन अमृत रूप में शरीर तक पहुंचता है।
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