राम सेतु के पत्थर कैसे तैर गए?
माता सीता की खोज के लिए जब प्रभु राम की सेना लंका की ओर चली, तो रास्ते में विशाल समुद्र बड़ी बाधा बनकर सामने आया। सेना सहित समुद्र को पार करना लगभग असंभव था। तीन दिन के इंतजार के बाद जब कोई हल न निकला तो श्रीराम ने गुस्से से अपना धनुष-बाण उठाया और मानव रूप बनाकर प्रकट हुए समुद्र ने उन्हें पुल निर्माण का सुझाव दिया। इसमें बढ़ी बाधा यह थी कि समुद्र की तेज लहरों पर पत्थर कैसे टिकेंगे। समुद्र ने ही इसका समाधान किया।
उत्तर: रावण मुनि विश्रवा और कैकसी के चार बच्चों में सबसे बड़ा पुत्र था। वाल्मीकि रामायण के उतराखंड में विश्रवा की संतानों के जन्म की कथा में प्रसंग है कि रावण दस मस्तक, बड़ी दाढ़ी, तांबे जैसे होंठ, विशाल मुख और बीस भुजाओं के साथ जन्मा था। उसके शरीर का रंग कोयले के समान काला था।उसके पिता ने उसकी दस ग्रीवा देखी तो उसका नाम दशग्रीव रखा। दस गर्दन यानी दस सिर वाला।
यही कारण है कि रावण दशानन, दसकंधर आदि नामों से प्रसिद्ध हुआ, हालांकि यह अस्वाभाविक है कि किसी के एक साथ दस सिर हों। यह सिर्फ प्रतीक मात्र है। रावण के दस सिरों की भिन्न- भिन्न व्यंजनाएं मिलती है। जिनके अनुसार रावण के दस सिर अहंकार, मोह, क्रोध, माया आदि विकारों के प्रतीक हैं यानी रावण सभी विकारों से ग्रसित था और इसी कारण ज्ञान व श्री संपन्न होने के बावजूद मात्र सीताहरण का एक अपराध करने से मारा गया। स्पष्टत: रावण के दस सिर प्रतीकात्मक है न कि प्राकृतिक और स्वाभाविक।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-SAS-interesting-facts-about-ramayana-news-hindi-5538818-PHO.html
माता सीता की खोज के लिए जब प्रभु राम की सेना लंका की ओर चली, तो रास्ते में विशाल समुद्र बड़ी बाधा बनकर सामने आया। सेना सहित समुद्र को पार करना लगभग असंभव था। तीन दिन के इंतजार के बाद जब कोई हल न निकला तो श्रीराम ने गुस्से से अपना धनुष-बाण उठाया और मानव रूप बनाकर प्रकट हुए समुद्र ने उन्हें पुल निर्माण का सुझाव दिया। इसमें बढ़ी बाधा यह थी कि समुद्र की तेज लहरों पर पत्थर कैसे टिकेंगे। समुद्र ने ही इसका समाधान किया।
उसने
श्रीराम को बताया कि उनकी सेना में नल और नील नाम के दो वानर हैं, जिन्हें बचपन में एक ऋषि से आशीर्वाद
मिला था कि उनसे स्पर्श किए पत्थर पानी में तैर जाएंगे। श्रीराम की आज्ञा से नल व
नील ने सभी पत्थरों को अपने हाथों से स्पर्श कर वानरों को देते गए, क्योंकि उन्हें पत्थर तैराने का
अशीर्वाद मिला हुआ था। इसलिए सारे पत्थर तैर गए और पुल निर्माण आसान हो गया। यह
प्रतीकात्मक है। दरअसल नल और नील पुल निर्माण के विशेषज्ञ इंजीनियर थे। समुद्र ने
केवल सेना में उनकी उपस्थिति का परिचय भर कराया। बस फिर क्या था श्रीराम की कृपा
से प्रसिद्ध राम सेतु बन गया।
क्या है पुष्पक विमान?
भारतीय इतिहास में सबसे प्राचीन विमान के रूप में पुष्पक
विमान का जिक्र सबसे पहले वाल्मीकि रामायण में मिलता है। वैदिक साहित्य में
देवताओं के विमानों की चर्चा है, लेकिन दैत्यों और मनुष्यों द्वारा उपयोग किया गया पहला
विमान पुष्पक ही माना जाता है। वाल्मीकि रामायण में मिली कथाओं का सार यह है कि
विश्वकर्मा ने पुष्पक विमान का निर्माण ब्रह्मा को भेंट किया था। ब्रह्मा ने यह
विमान लोकपाल कुबेर को दे दिया।
कुबेर से ही इस विमान को रावण ने छीना था। रामायण के अनुसार
इस विमान की विशेषता यह थी कि इसका स्वामी जो मन में विचार करता था, उसी का यह पालन करता था। यह एक
तेजी से चलने वाला, दुर्लभ और विचित्र चीजों का संग्रह था। पौराणिक संदर्भों
में विज्ञान की खोज करने वालों की मान्यता है कि प्राचीन भारतीय विज्ञान आधुनिक
विज्ञान की तुलना में अधिक संपन्न था।
इस लिहाज से इस विमान का अस्तित्व और उसकी प्रमाणिकता
स्वीकारी जाती है। इसके पीछे तर्क या प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन प्राचीन भारतीयों की
वैज्ञानिक क्षमता में विश्वास करने वाले जानते हैँ कि यह विमान था और तत्कालीन
विज्ञान का सबसे अच्छा नमूना था। भगवान राम रावण पर विजय के बाद इसी विमान से
अयोध्या लौटे थे। भगवान ने उपयोग के बाद पूजन कर यह दिव्य विमान वापस कुबेर को
लौटा दिया था।
श्रीराम ने बाली पर पीछे से
वार क्याें किया?
उत्तर: श्रीराम के द्वारा बाली के वध की कथा रामचरितमानस के किष्किंधा कांड में मिलती है। यह एक विवादित प्रश्न रहा है कि मर्यादा के रक्षक श्रीराम ने बाली का वध पीछे से क्याें किया।
तुलसीदासजी नेे एक चौपाई- धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं। मारेहु मोहि ब्याध की नाईं।
के जरिए इस प्रश्न काेे उठाया हैै यानी बाली ने मरते वक्त पूछा कि हे राम आपने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया, लेकिन मुझे शिकारी की तरह छुपकर क्याें मारा। इसका उत्तर अगली चाैपाई में रामजी देते हैं।
अनुज बधू भगिनी सुत नारी।सुनु सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हहि कुदृष्टि बिलाकइ जोई। ताहि बंधें कुछ पाप न होई।
यानी रामजी बोले अरे मूर्ख सुन। छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी ये चारों समान हैं। इनको जो बुरी दृष्टि से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है। ध्यान रहे बाली ने सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाला था, बल्कि उसकी पत्नी भी छीन लिया था। भगवान का क्रोध इसलिए था कि जो व्यक्ति स्त्री का सम्मान नहीं करता उसे सामने से मारने या छुपकर मारने में कोई अंतर नहीं है। मूल बात है उसे दंड मिले। आखिरकार भगवान ने बाली को दंड दिया।
रावण के दस सिर क्यों थे?उत्तर: श्रीराम के द्वारा बाली के वध की कथा रामचरितमानस के किष्किंधा कांड में मिलती है। यह एक विवादित प्रश्न रहा है कि मर्यादा के रक्षक श्रीराम ने बाली का वध पीछे से क्याें किया।
तुलसीदासजी नेे एक चौपाई- धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं। मारेहु मोहि ब्याध की नाईं।
के जरिए इस प्रश्न काेे उठाया हैै यानी बाली ने मरते वक्त पूछा कि हे राम आपने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया, लेकिन मुझे शिकारी की तरह छुपकर क्याें मारा। इसका उत्तर अगली चाैपाई में रामजी देते हैं।
अनुज बधू भगिनी सुत नारी।सुनु सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हहि कुदृष्टि बिलाकइ जोई। ताहि बंधें कुछ पाप न होई।
यानी रामजी बोले अरे मूर्ख सुन। छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी ये चारों समान हैं। इनको जो बुरी दृष्टि से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है। ध्यान रहे बाली ने सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाला था, बल्कि उसकी पत्नी भी छीन लिया था। भगवान का क्रोध इसलिए था कि जो व्यक्ति स्त्री का सम्मान नहीं करता उसे सामने से मारने या छुपकर मारने में कोई अंतर नहीं है। मूल बात है उसे दंड मिले। आखिरकार भगवान ने बाली को दंड दिया।
उत्तर: रावण मुनि विश्रवा और कैकसी के चार बच्चों में सबसे बड़ा पुत्र था। वाल्मीकि रामायण के उतराखंड में विश्रवा की संतानों के जन्म की कथा में प्रसंग है कि रावण दस मस्तक, बड़ी दाढ़ी, तांबे जैसे होंठ, विशाल मुख और बीस भुजाओं के साथ जन्मा था। उसके शरीर का रंग कोयले के समान काला था।उसके पिता ने उसकी दस ग्रीवा देखी तो उसका नाम दशग्रीव रखा। दस गर्दन यानी दस सिर वाला।
यही कारण है कि रावण दशानन, दसकंधर आदि नामों से प्रसिद्ध हुआ, हालांकि यह अस्वाभाविक है कि किसी के एक साथ दस सिर हों। यह सिर्फ प्रतीक मात्र है। रावण के दस सिरों की भिन्न- भिन्न व्यंजनाएं मिलती है। जिनके अनुसार रावण के दस सिर अहंकार, मोह, क्रोध, माया आदि विकारों के प्रतीक हैं यानी रावण सभी विकारों से ग्रसित था और इसी कारण ज्ञान व श्री संपन्न होने के बावजूद मात्र सीताहरण का एक अपराध करने से मारा गया। स्पष्टत: रावण के दस सिर प्रतीकात्मक है न कि प्राकृतिक और स्वाभाविक।
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