भगवान की परिक्रमा का धार्मिक महत्व तो है ही, विद्वानों का मत है
भगवान की परिक्रमा से अक्षय पुण्य मिलता है, सुरक्षा प्राप्त
होती है और पापों का नाश होता है। परिक्रमा करने का व्यवहारिक और वैज्ञानिक पक्ष
वास्तु और वातावरण में फैली सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ा है।
मंदिर में भगवान की प्रतिमा के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का घेरा होता है, यह मंत्रों के उच्चारण, शंख, घंटाल आदि की ध्वनियों से निर्मित होता है। हम भगवान कि प्रतिमा की परिक्रमा इसलिए करते हैं ताकि हम भी थोड़ी देर के लिए इस सकारात्मक ऊर्जा के बीच रहें और यह हम पर अपना असर डाले।इसका एक महत्व यह भी है कि भगवान में ही सारी सृष्टि समाई है, उनसे ही सब पैदा हुए हैं, हम उनकी परिक्रमा लगाकर यह मान सकते हैं कि हमने सारी सृष्टि की परिक्रमा कर ली है।
मंदिर में भगवान की प्रतिमा के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का घेरा होता है, यह मंत्रों के उच्चारण, शंख, घंटाल आदि की ध्वनियों से निर्मित होता है। हम भगवान कि प्रतिमा की परिक्रमा इसलिए करते हैं ताकि हम भी थोड़ी देर के लिए इस सकारात्मक ऊर्जा के बीच रहें और यह हम पर अपना असर डाले।इसका एक महत्व यह भी है कि भगवान में ही सारी सृष्टि समाई है, उनसे ही सब पैदा हुए हैं, हम उनकी परिक्रमा लगाकर यह मान सकते हैं कि हमने सारी सृष्टि की परिक्रमा कर ली है।
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