जब भी कोई बड़ा पूजन पाठ करवाया जाता है तो पंडितजी पूर्व की ओर मुंह करके
बैठने को कहते हैं। दरअसल, केवल विशेष पूजा-पाठ के समय ही नहीं, बल्कि हमेशा पूजा करते समय पूर्व दिशा की ओर ही मुंह रखना चाहिए, क्योंकि किसी भी घर के वास्तु में ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा
का बड़ा महत्व है।
वास्तु के अनुसार ईशान्य कोण स्वर्ग दरवाजा कहलाता है। माना जाता है कि ईशान्य कोण में बैठकर पूर्व दिशा की और मुंह करके पूजन करने से स्वर्ग में स्थान मिलता है, क्योंकि उसी दिशा से सारी ऊर्जाएं घर में बरसती है। ईशान्य सात्विक ऊर्जाओं का प्रमुख स्त्रोत है। किसी भी भवन में ईशान्य कोण सबसे ठंडा क्षेत्र है। वास्तु पुरुष का सिर ईशान्य में होता है। जिस घर में ईशान्य कोण में दोष होगा उसके निवासियों को दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। साथ ही, पूर्व दिशा को गुरु की दिशा माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार गुरु को धर्म व आध्यात्म का कारक माना जाता है। ईशान्य कोण
का अधिपति शिव को माना गया है। मान्यता है कि इस दिशा की ओर मुंह करके पूजा करने
से घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है। बाद में, ये ऊर्जाएं पूरे घर में फैल जाती हैं।
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