Thursday, May 19, 2016

कैसे तैर गए राम सेतु निर्माण में पत्थर?


माता सीता की खोज के लिए जब प्रभु राम की सेना लंका की ओर चली, तो रास्ते में विशाल समुद्र बड़ी बाधा बनकर सामने आया। सेना सहित समुद्र को पार करना लगभग असंभव था। तीन दिन के इंतजार के बाद जब कोई हल न निकला तो श्रीराम ने गुस्से से अपना धनुष-बाण उठाया और मानव रूप बनाकर प्रकट हुए समुद्र ने उन्हें पुल निर्माण का सुझाव दिया। इसमें बढ़ी बाधा यह थी कि समुद्र की तेज लहरों पर पत्थर कैसे टिकेंगे। समुद्र ने ही इसका समाधान किया।

उसने प्रभु श्रीराम को बताया कि उनकी सेना में नल और नील नाम के दो वानर हैं, जिन्हें बचपन में एक ऋषि से आशीर्वाद मिला था कि उनसे स्पर्श किए पत्थर पानी में तैर जाएंगे। श्रीराम की आज्ञा से नल व नील ने सभी पत्थरों को अपने हाथों से स्पर्श कर वानरों को देते गए, क्योंकि उन्हें पत्थर तैराने का अशीर्वाद मिला हुआ था। इसलिए सारे पत्थर तैर गए और पुल निर्माण आसान हो गया। यह प्रतीकात्मक है। दरअसल नल और नील पुल निर्माण के विशेषज्ञ इंजीनियर थे। समुद्र ने केवल सेना में उनकी उपस्थिति का परिचय भर कराया। बस फिर क्या था श्रीराम की कृपा से प्रसिद्ध राम सेतु बन गया।

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