रामचरितमानस में चार ऐसी महिलाओं के बारे में बताया गया है, जिनका सम्मान हर हाल में करना ही चाहिए।
इन चार का अपमान करने वाले या इन पर बुरी नजर डालने वाले मनुष्य महापापी होते हैं।
ऐसे मनुष्य की जीवनभर किसी न किसी तरह से दुश भोगने पड़ते ही हैं।
श्लोक-अनुज बधू भगिनी सुत नारी, सुनु सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हिह कुदृष्टि बिलोकइ जोई, ताहि बधें कछु पाप न होई।।
1. छोटे भाई की पत्नी
छोटे भाई की पत्नी बहू के समान होती है। उस पर कभी बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए। ऐसा करने वाले मनुष्य का परिणाम बुरा ही होता है। रामचरितमानस के अनुसार, किष्किन्धा के राजा बालि ने अपने छोटे भाई सुग्रीव को राज्य से बाहर निकाल कर उसकी पत्नी रूमा को अपने अधीन कर लिया था। छोटे भाई की पत्नी पर बुरी दृष्टि डालना या उसके साथ बुरा व्यवहार करना महापाप होता है। इसी वजह से खुद भगवान राम ने बाली का वध करके उसे उसके कर्मों की सजा दी थी। इसलिए हर मनुष्य को अपने छोटे भाई की पत्नी को अपनी बहू के समान ही समझना चाहिए।
2. पुत्र की पत्नी
पुत्र की पत्नी बेटी के समान मानी जाती है। अपनी बहू के सम्मान की रक्षा करना सबका धर्म होता है। मनुष्य को भूलकर भी अपनी बहू का अपमान नहीं करना चाहिए, न ही उसका अपमान होते देख, उस बात का समर्थन करना चाहिए। रामायण में दी गई एक घटना के अनुसार, एक बार स्वर्ग की अप्सरा रंभा कुबेर के पुत्र नलकुबेर से मिलने जा रही थी। रास्ते में रावण ने उसे देखा और बुरी नीयत से रोक लिया। रावण को कामातुर होता देख रंभा ने कहा कि आज उसने कुबेर के पुत्र नलकुबेर को मिलने का वचन दिया है और इसलिए वह रावण की पुत्रवधू के समान है। रंभा के ऐसा कहने पर भी रावण ने उसकी बात नहीं मानी और उसके साथ बुरा व्यवहार किया। रावण के ऐसा करने पर रंभा ने क्रोधित होकर उसे किसी भी स्त्री पर नजह डालने पर उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाने का और किसी स्त्री की वजह से ही उसका विनाश होने का श्राप दे दिया था। पुत्रवधू का यही श्राप रावण के विनाश का कारण बना।
3. बहन
मनुष्य को अपनी छोटी बहन को पुत्री और बड़ी बहन को माता के समान समझना चाहिए। जो मनुष्य अपनी बहन के मान की रक्षा नहीं करता या अपने निजी स्वार्थ के लिए उसका अपमान करता है, उसे राक्षस प्रवृत्ति का माना जाता है। बहन का अपमान या उसके साथ बुरा व्यवहार करने वाले व्यक्ति को जीवित होते हुए भी नरक के समान दुःख उठाने पड़ते हैं। मनुष्य को किसी भी हाल में अपनी बहन का अपमान नहीं करना चाहिए और हमेशा उसकी रक्षा करना चाहिए।
4. अपनी पुत्री
अपनी पुत्री का सम्मान करना, हर बुरी परिस्थिति से उसे बचाना पिता का धर्म होता है। अपनी पुत्री के साथ बुरा व्यवहार करना, उसे बुरी दृष्टि से देखने से बड़ा पाप और कोई नहीं होता। ऐसा कर्म करने वाला मनुष्य महापापी माना जाता है और उसे जीवन भर दुःखों का सामना करना ही पड़ता है। ऐसा मनुष्य चाहे कितने ही दान धर्म कर ले, लेकिन उसके पाप का निवारण नहीं होता। इसलिए मनुष्य को भूलकर भी अपनी पुत्री का अपमान नहीं करना चाहिए।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DGRA-lesson-from-ramcharitmanas-always-respect-these-4-woman-in-hindi-5310910-PHO.html
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