Thursday, May 5, 2016

पीपल के पेड़ के नीचे दीया क्यों जलाते हैं?

पीपल का शुद्ध तत्सम नाम अश्वत्थ है। यह हिंदुओं का सबसे पूज्य वृक्ष है। इसे विश्व वृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव भी कहा जाता है। हिंदू दर्शन की मान्यता है इसके पत्ते-पत्ते में देवता का वास रहता है। विशेषकर विष्णु का। यही कारण है कि श्रीमद भागवत गीता में जब भगवान कृष्ण अपनी विभूतियों का परिचय देते हैं तो स्वयं को वृक्षों में अश्वत्थ यानी पीपल बताते हैं।

हिंदू धर्मकोष का वचन है- काम, कर्म रूपी वायु के द्वारा प्रेरित, नित्य प्रचलित स्वभाव और शीघ्र विनाशी होने के कारण, मायामय संसार वृक्ष को भी अश्वत्थ कहा गया है। ऋगवेद में अश्वत्थ की लकड़ी के पात्रों का उल्लेख मिलता है। इसकी कठोर लकड़ी अग्नि जलाते समय शमी की लकड़ी के ऊपर रखी जाती है। अथर्ववेद और छंदोग्य उपनिषद में इस वृक्ष के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। इन्हीं धार्मिक विश्वासों के कारण इसकी पूजा-अर्चना और इसके नीचे दीप रखने की परंपरा है।

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