Friday, August 4, 2017

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से नहीं रहता अकाल मृत्यु का भय

अवंतिका, उज्जयिनी आदि नामों से प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं। क्षिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ यह शहर धार्मिक मान्यताओं और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है।

ऐसे हुई थी यहां भगवान महाकाल की स्थापना
पुराणों के अनुसार, अवंतिका (उज्जैन) भगवान शिव को बहुत प्रिय था। यहां भगवान शिव के कई प्रिय भक्त रहते थे। एक समय अवंतिका नगरी में एक ब्राह्मण रहता था। उस ब्राह्मण के चार पुत्र थे। दूषण नाम का राक्षस ने अवंतिका में आतंक मचा दिया। वह राक्षस उस नगर के सभी वासियों को पीड़ा देना लगा। उस राक्षस के आतंक से बचने के लिए उस ब्राह्मण ने भगवान शिव की आराधना की। ब्राह्मण की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव धरती फाड़ कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और उस राक्षस का वध करके नगर की रक्षा की। नगर के सभी भक्तों ने भगवान शिव से उसी स्थान पर हमेशा रहने की प्रार्थना की। भक्तों के प्रार्थना करने पर भगवान शिव अवंतिका में ही महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में वहीं स्थापित हो गए।

महाकाल के दर्शन से होती है अकाल मृत्यु से रक्षा
महाकाल ज्योतिर्लिंग का अपना अलग ही महत्व हैं। इस ज्योतिर्लिंग के महत्व और शक्तियों का वर्णन कई ग्रंथों में मिलता हैं। महाकाल ज्योतिर्लिंग को कालों का काल माना जाता हैं। कहा जाता है कि इनके दर्शन करने से मनुष्य को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

ऐसा है उज्जैन का ऐतिहासिक महत्व
उज्जैन सप्त पुरियों में से एक है। कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य के समय उज्जैन भारत की राजधानी थी। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने यहीं पर महर्षि सांदीपनि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। यह ज्योतिष विद्या का केन्द्र भी माना जाता है। साथ ही इसी स्थान से समय की गणना भी की जाती है, इसलिए इस स्थान को पृथ्वी का नाभिप्रदेश के नाम से भी पुकारा जाता है।

ऐसा है मंदिर का स्वरूप
महाकाल मंदिर के तीन मुख्य खंड हैं। प्रांगण की सतह के बराबर मंदिर का एक ऊपरी खंड है, यहां पर भगवान शिव का एक लिंग स्थित है। इस शिवलिंग को ओंकारेश्वर कहा जाता है। दूसरे खंड में ओंकारेश्वर के ठीक नीचे महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है। सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है, जो साल में केवल एक बार नागपंचमी पर भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है। इसके अलावा मंदिर प्रांगण में और भी मंदिर स्थित हैं, जो श्रृद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार भस्म और भांग से भी किया जाता है। यहां की भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है।

कब जाएं?
महाकाल ज्योतिर्लिंग जाने के लिए साल के कोई भी समय चुना जा सकता है। कार्तिक पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा एवं दशहरे पर यहां विशेष मेले लगते है।

कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग-उज्जैन से लगभग 55 कि.मी की दूरी पर इन्दौर का एयरपोर्ट है। वहां तक हवाई मार्ग से आकर रेल या सड़क मार्ग से महाकाल मंदिर पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग- देश के लगभग सभी बड़े शहरों से उज्जैन के लिए रेल गाड़ियां चलती है।
सड़क मार्ग- उज्जैन पहुंचने के लिए सड़क मार्ग का भी प्रयोग किया जा सकता है।

महाकाल मंदिर के आस-पास घूमने के स्थान-
1. हरिसिद्धि मंदिर- यह देवी सती के इक्यावन शक्ति पीठों में से एक है।
2. 
कालभैरव मंदिर-उज्जैन स्थित कालभैरव मंदिर एक चमत्कारी मंदिर है, यहां भगवान की मूर्ति को प्रसाद के रूप में मदिरा (शराब) चढ़ाई जाती है।
3.
गोपाल मंदिर- उज्जैन शहर के मध्य में स्थित गोपाल मंदिर भगवान कृष्ण का दर्शनीय मंदिर है।
4.
मंगलनाथ- मंगल संबंधी दोषों का नाश करने के लिए यह देश का एक मात्र मंदिर है।

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