रामायण में राम राज्य
स्थापित होने के बाद की कथा कम लोग जानते हैं, क्या
आपको पता है कि राम कथा का समापन कैसे हुआ था और अवतारों ने अपने शरीर कैसे छोड़े
थे। आइए जानते हैं पूरी रोचक कहानी...
सीता का देह त्याग
माता सीता के बारे में प्रजा में यह अफवाह फैलती है कि रावण के यहां रहने के कारण सीता अशुद्ध हो चुकी है। रामजी तक जब यह खबर पहुंची तो उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्होंने सीता को वन पहुंचाने का निर्णय लिया। लक्ष्मण उन्हें जब वन में छोड़कर आए तब सीता गर्भवती थीं। वहां वे ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहीं और दो पुत्र लव व कुश को जन्म दिया। रामजी ने जब राजसूय यज्ञ का आयोजन किया तो वहां लव-कुश ने रामायण का गायन किया। श्रीराम को एहसास हुआ कि सीता पवित्र हैं और उन्होंने ऋर्षियों से सलाह कर फिर सीता के परीक्षण का निर्णय लिया। सीता ने उसे स्वीकार किया। इस बार उन्होंने शरीर छोड़ने का निर्णय लेकर धरती से प्रार्थना की आैर उनमें समा गई।
माता सीता के बारे में प्रजा में यह अफवाह फैलती है कि रावण के यहां रहने के कारण सीता अशुद्ध हो चुकी है। रामजी तक जब यह खबर पहुंची तो उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्होंने सीता को वन पहुंचाने का निर्णय लिया। लक्ष्मण उन्हें जब वन में छोड़कर आए तब सीता गर्भवती थीं। वहां वे ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहीं और दो पुत्र लव व कुश को जन्म दिया। रामजी ने जब राजसूय यज्ञ का आयोजन किया तो वहां लव-कुश ने रामायण का गायन किया। श्रीराम को एहसास हुआ कि सीता पवित्र हैं और उन्होंने ऋर्षियों से सलाह कर फिर सीता के परीक्षण का निर्णय लिया। सीता ने उसे स्वीकार किया। इस बार उन्होंने शरीर छोड़ने का निर्णय लेकर धरती से प्रार्थना की आैर उनमें समा गई।
राम-लक्ष्मण का देह त्याग
जब अवतारों का समय पूरा हो गया तो श्री राम से मिलने काल आया। काल यानी समय का देवता। काल ने श्री राम से कहा कि वह उनसे कुछ बात करना चाहते हैं और वह सिर्फ हम दोनों के बीच रहे इसके लिए जो भी हमारी बात सुने आप उसका वध कर देना। रामजी ने कहा ठीक है हम वचन देते हैं ऐसा ही होगा। श्री राम लक्ष्मण को पहरा देने के लिए द्वार पर खड़ा करते हैं तभी वहां ऋषि दुर्वासा आते हैं। वह लक्ष्मणजी से कहते हैं कि उन्हें श्री राम से मिलना है।
जब अवतारों का समय पूरा हो गया तो श्री राम से मिलने काल आया। काल यानी समय का देवता। काल ने श्री राम से कहा कि वह उनसे कुछ बात करना चाहते हैं और वह सिर्फ हम दोनों के बीच रहे इसके लिए जो भी हमारी बात सुने आप उसका वध कर देना। रामजी ने कहा ठीक है हम वचन देते हैं ऐसा ही होगा। श्री राम लक्ष्मण को पहरा देने के लिए द्वार पर खड़ा करते हैं तभी वहां ऋषि दुर्वासा आते हैं। वह लक्ष्मणजी से कहते हैं कि उन्हें श्री राम से मिलना है।
No comments:
Post a Comment