महाभारत के शांतिपर्व में
पितामाह भीष्म ने युधिष्ठिर को कई ज्ञान की बातें बताई थीं। वे बातें न की सिर्फ
उस समय में बल्कि आज के समय में भी बहुत उपयोगी मानी जाती है। महाभारत में तीन ऐसे
लोगों के बारे में बताया गया है, जो
किसी भी परिस्थिति का सामना आसानी से कर सकते हैं।
न हि बुद्धयान्वितः प्राज्ञो
नीतिशास्त्रविशारदः।
निमज्जत्यापदं प्राप्य महतीं
दारुणमपि।।
अर्थात-बुद्धिमान, विद्वान और नीतिशास्त्र में
निपुण व्यक्ति भारी और भयंकर विपत्ति आने पर भी उसमें फंसता नहीं है।
अपनी बुद्धि से ही पार की थी
युधिष्ठिर ने धर्म की परीक्षा
महाभारत में दी गई एक कथा के अनुसार, पांडवों के वनवास के दौरान एक
बार खुद यमराज ने युधिष्ठिर की बुद्धिमानी की परीक्षा लेनी चाही। इसी उद्देश्य से
यमराज ने यक्ष का रूप धारण कर लिया। यक्षरूपी यमराज ने सरोवर के पास एक-एक करके
सभी पांडवों की परीक्षा ली, जिसमें
पार न करने की वजह से युधिष्ठिर को छोड़ कर बाकी चारों पांडव सरोवर के पास मृत
पड़े थे। जब युधिष्ठिर ने अपने सभी भाइयों को मरा हुआ पाया तब यक्ष से उनको जीवित
करने को कहा। यक्ष ने ऐसा करने के लिए युधिष्ठिर के सामने एक शर्त रखी। शर्त यह थी
कि धर्म युधिष्ठिर से कुछ सवाल करेंगे और अगर युधिष्ठिर ने उनके सही जवाब दे दिए, तो वह यक्ष उसने सभी भाइयों को
जीवित कर देगा। ऐसी विपरीत परिस्थिति में भी युधिष्ठिर ने अपनी बुद्धिमानी से यक्ष
की परीक्षा पार कर ली और अपने सभी भाइयों को फिर से जीवित करा लिया। इसलिए कहते है
बुद्धिमान मनुष्य अपनी सुझ-बूझ से हर परेशानी का हल निकल सकता है।
पहले ही कौरव वंश के विनाश की
बात कह चुके थें विद्वान विदुर
कहा जाता है कि जब दुर्योधन का जन्म हुआ था, तब वह जन्म होते ही गीदड़ की
तरह जोर-जोर से रोने लगा और शोर मचाने लगा। विदुर महाविद्वान थे, उन्होंने दुर्योधन को देखते ही
धृतराष्ट्र को उसका त्याग कर देने की सलाह दी थी। वह जान समझ गए थे कि यह बालक ही
कौरव वंश के विनाश का कारण बनेगा। इसके अलावा विदुर ने जीवनभर अपने विद्वान होने
के प्रमाण दिए हैं। वे हर समय धृतराष्ट्र को सही सलाह देते थे, लेकिन अपने पुत्र के प्यार में
धृतराष्ट्र विद्वान विदुर की बातों को समझ न सकें और इसी वजह से उनके कुल का नाश
हो गया।
पांडवों को हर परिस्थिति में
बचाया श्रीकृष्ण की नीतियों ने
श्रीकृष्ण एक सफल नीतिकार थे। वे सभी तरह की नीतियों के
बारे में जानते थे। कौरवों ने जीवनभर पांडवों के लिए कोई न कोई परेशानियां खड़ी की, लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी सफल
नीतियों से पांडवों को हर वक्त सहायता की। अगर पांडवों के पास श्रीकृष्ण के जैसे
नीतिकार न होते तो शायद पांडव युद्ध में कभी विजयी नहीं हो पाते। उसी तरह नीतियों
को जानने वाले और उनका पालन करने वाले व्यक्ति के सामने कैसी भी परेशानी आ जाएं, वह उसका सामान आसानी से कर लेता
है।
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