Saturday, April 29, 2017

अक्षय तृतीया : ऐसे करें देवी लक्ष्मी की पूजा, ये हैं शुभ मुहूर्त

29 अप्रैल, शनिवार को अक्षय तृतीया है। मान्यता है कि इस दिन यदि माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उपाय व पूजा की जाए तो घर में स्थाई रूप से धन-संपत्ति का वास रहता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा इस प्रकार करें-
पूजन विधि
पूजा के लिए किसी चौकी अथवा कपड़े के पवित्र आसन पर माता महालक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करें। श्रीमहालक्ष्मीजी की मूर्ति के पास ही एक साफ बर्तन में केसर युक्त चंदन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर गहने या रुपए रखें व पूजा करें। सबसे पहले पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके स्वयं पर जल छिड़के तथा पूजा-सामग्री पर निम्न मंत्र पढ़कर जल छिड़कें-
ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
उसके बाद जल-अक्षत (चावल) लेकर पूजन का संकल्प करें-
संकल्प-आज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, शनिवार है। मैं जो कि अमुक गोत्र (अपना गोत्र बोलें) से हूं। मेरा अमुक नाम (अपना नाम बोलें) है। मैं श्रुति, स्मृति और पुराणों के अनुसार फल प्राप्त करने के लिए और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मन, कर्म व वचन से पाप मुक्त होकर व शुद्ध होकर स्थिर लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी की पूजा करने का संकल्प लेता हूं। ऐसा कहकर संकल्प का जल छोड़ दें।
अब बाएं हाथ में चावल लेकर नीचे लिखे मंत्रों को पढ़ते हुए दाहिने हाथ से उन चावलों को लक्ष्मी प्रतिमा पर छोड़ते जाएं-
ऊं मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ समिमं दधातु।
विश्वे देवास इह मादयन्तामोम्प्रतिष्ठ।।
ऊं अस्यै प्राणा: प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा: क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन।।
अब इन मंत्रों द्वारा भगवती महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें।
ऊं महालक्ष्म्यै नम:- इस नाम मंत्र से भी उपचारों द्वारा पूजा की जा सकती है।
प्रार्थना- विधिपूर्वक श्रीमहालक्ष्मी का पूजन करने के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करें-
सुरासुरेंद्रादिकिरीटमौक्तिकै-
र्युक्तं सदा यक्तव पादपकंजम्।
परावरं पातु वरं सुमंगल
नमामि भक्त्याखिलकामसिद्धये।।
भवानि त्वं महालक्ष्मी: सर्वकामप्रदायिनी।।
सुपूजिता प्रसन्ना स्यान्महालक्ष्मि नमोस्तु ते।।
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरिप्रिये।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात् त्वदर्चनात्।।
ऊं महालक्ष्म्यै नम:, प्रार्थनापूर्वकं समस्कारान् समर्पयामि।
प्रार्थना करते हुए नमस्कार करें।
समर्पण- पूजा के अंत में कृतोनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम्, न मम।
यह बोलकर समस्त पूजन कर्म भगवती महालक्ष्मी को समर्पित करें तथा जल छोड़ दें व माता लक्ष्मी से घर में निवास करने की प्रार्थना करें।
अक्षय तृतीया के मुहूर्त -
दोपहर 12:25 से 01:55 तक
दोपहर 01:55 से 03:25 तक
दोपहर 03: 25 से शाम 05:07 तक
शाम 06:55 से रात 08:10 तक
ये काम करें अक्षय तृतीया पर
धर्म ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन कुछ विशेष कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानिए इस दिन क्या-क्या करना चाहिए, जिससे कि पुण्य फल की प्राप्ति हो-
1. 
अक्षय तृतीया की सुबह जल्दी उठकर किसी तीर्थ स्थान पर या घर पर अक्षत (चावल) मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद देव एवं पितरों को तर्पण कर, भगवान वासुदेव की पूजा करनी चाहिए।
2. 
भगवान को चने की दाल, मिश्री, खीरा एवं सत्तू का भोग लगाएं। इसके बाद ब्राह्मणों को जौ दान करें। इस दिन पानी से भरे मटके, गेहूं, सत्तू एवं जौ के दान का विशेष महत्व है ।
3. 
इस दिन प्याऊ लगवाने से भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया पर सत्तू खाने से शरीर के त्रिदोषों का शमन होता है।
ये हैं अक्षय तृतीया से जुड़ी कुछ रोचक बातें
हिंदू धर्म शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि से जुड़े और भी कई रोचक तथ्यों का वर्णन मिलता है। यह तथ्य इस प्रकार हैं- 
1. धर्म ग्रंथों के अनुसार, अक्षय तृतीया से ही त्रेतायुग का आरंभ भी माना जाता है। इस तिथि से ही भगवान बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।

2. वर्ष में एक बार वृंदावन के श्रीबांकेबिहारीजी के मंदिर में श्रीविग्रह के चरण दर्शन होते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान नर-नारायण ने अवतार लिया था।

3. भगवान विष्णु के अवतार श्रीपरशुरामजी का अवतार भी इसी दिन हुआ था। भगवान विष्णु का हयग्रीव अवतार भी इसी दिन माना जाता है।

4. स्वयंसिद्ध मुहूर्त होने के कारण सबसे अधिक विवाह भी इसी दिन होते हैं। इस दिन शुभ एवं पवित्र कार्य करने से जीवन में सुख-शांति आती है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।

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