शिवजी की आराधना करने से उनकी कृपा मिलती है।अधिकांश
शिव भक्त शिवलिंग का अभिषेक करते हैं,लेकिन बहुत कम
ऐसे लोग है जो जानते हैं कि शिव का अभिषेक क्यों करते हैं? अभिषेक शब्द का अर्थ है स्नान करना या कराना। यह स्नान
भगवान मृत्युंजय शिव को कराया जाता है। अभिषेक को आजकल रुद्राभिषेक के रुप में ही
ज्यादातर पहचाना जाता है।
अभिषेक के कई
प्रकार और रुप होते हैं, लेकिन आजकल विशेष रूप से रुद्राभिषेक ही कराया जाता
है।रुद्राभिषेक का मतलब है भगवान रुद्र का अभिषेक यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों
के द्वारा अभिषेक करना। रुद्राभिषेक करना
शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। शिवपुराण में शिव को जलधाराप्रिय
माना गया है। भगवान रुद्र से सम्बंधित मंत्रों का वर्णन बहुत ही पुराने समय से
मिलता है। रुद्रमंत्रों का विधान ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में दिए गए मंत्रों से
किया जाता है। रुद्राष्टाध्यायी में अन्य मंत्रों के साथ इस मंत्र का भी उल्लेख
मिलता है। रुद्र मंत्रों के साथ अभिषेक करने से असाध्य रोग ठीक हो सकते हैं। घर
में हमेशा बरकत रहती है। साथ ही, हर तरह के सुख भी मिलते हैं।
अभिषेक में उपयोगी वस्तुएं
अभिषेक साधारण रूप से तो जल से ही होता है। विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग या सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्र में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
अभिषेक साधारण रूप से तो जल से ही होता है। विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग या सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्र में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
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