अगर आप कोई पूजा-पाठ विधि-विधान से करते हैं तो उस विधान में
हमेशा कहा गया है कि भक्त को 'घी' का दीपक जलाकर पूजा करनी चाहिए लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि
आखिर क्यों 'घी' के दीपक पर
इतना जोर दिया जाता है? आईये आपको
बताते हैं कि क्या है इसका कारण... 'घी' को सबसे शुद्द माना जाता है क्योंकि घी का निर्माण गौ-माता के
दूध से होता है, जो सबसे पवित्र होता है और पवित्र
चीजों से पूजा करने से इंसान का दिल-दिमाग-वातावरण सब पवित्र होते हैं। 'घी' के अंदर एक
सुगंध होती है जो जलने वाले स्थान पर काफी देर तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है
जिसकी वजह का पूजा का असर काफी देर तक पूजा स्थल पर रहता है। ऐसी मान्यता है कि
हमारे शरीर में 7 चक्र होके
हैं, 'घी' के कारण
उनमें ऊर्जा का संचार होता रहता है।
वास्तुदोष
घर में 'घी' का दीपक जलाने से वास्तुदोष दूर होते हैं।
गाय के दूध से बना 'घी'
गाय के दूध से बना 'घी'
गाय के दूध
से बना 'घी' कीटाणओं को
घर में घुसने नहीं देता है इसलिए इसका प्रयोग किया जाता है।
पूजा स्थल में परिवर्तित
पूजा स्थल में परिवर्तित
'घी' की महक से
पूरा वातावरण पूजा स्थल में परिवर्तित हो जाता है और वो लोग भी इसमें शामिल हो
जाते हैं जो पूजा नहीं कर रहे होते हैं।
सकारात्मक ऊर्जा
सकारात्मक ऊर्जा
'घी' का दीपक
सकारात्मक ऊर्जा को जन्म देता है।
पंचामृत
पंचामृत
'घी' को पंचामृत
का रूप मानते हैं, इसलिए इसका
दीपक जलाते हैं।
http://hindi.oneindia.com/art-culture/why-is-ghee-lamp-preferred-oil-lamp-during-puja-ritual-369691-pg6.html
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