Thursday, April 27, 2017

अक्षय तृतीया को क्यों कहते हैं सौभाग्य दिवस, क्या जानते हैं आप?


सनातन धर्म में मांगलिक काम शुभ मुहूर्त देखकर किए जाते है जैसे- विवाह, मुण्डन, गृह प्रवेश, सगाई आदि। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ तिथि ऐसी भी हैं जिस दिन सभी शुभ काम बिना मुहूर्त देखे किए जा सकते हैं।ऐसी ही एक शुभ तिथि है वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया। इसे अक्षय तृतीया या आखा तीज भी कहते हैं।

अक्षय का अर्थ है, कभी न क्षय (समाप्त) होने वाला। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन की जाने वाली साधनाओं, हवन, जप, दान आदि का प्रतिफल कई गुणा बढ़कर मनुष्य को प्राप्त होता है।
धर्म ग्रंथों में अक्षय तृतीया को सौभाग्य दिवस भी कहा गया है। इसलिए इस दिन स्त्रियां अपने परिवार की समृद्धि के लिए विशेष व्रत आदि करती हैं तो पूर्वजों से आशीर्वाद एवं पुण्यात्माओं से परिवार वृद्धि की कामना भी करती हैं। अक्षय तृतीया लक्ष्मी सिद्धि दिवस है, इस कारण इस दिन लक्ष्मी संबंधित साधनाएं विशेष रूप से की जाती हैं। स्वयं सिद्ध मुहूर्त होने के कारण सबसे अधिक विवाह भी इसी दिन होते हैं।

 
आजये चीजें करें दान, मिलेगा पुण्य फल
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि दान प्रधान है। मान्यता है कि इस शुभ संयोग में किए दान का फल कई गुना होकर प्राप्त होता है। ये दान भगवान विष्णु की विधिवत पूजा के बाद किसी योग्य ब्राह्मण या गरीब, असहाय व्यक्तियों को करना चाहिए - 
- सभी तरह के अनाज 

- पानी से भरा मिट्टी का घड़ा, कलश व वस्त्र 

- कलश के साथ ककड़ी या खरबूजा 

- पंखा, चप्पल या जूते

- छाता 

- चने का सत्तू 

- दही-चावल 

- मौसमी फल जैसे खरबूजा, आम आदि। 

- खारक 

- गुड़ और अरहर यानी तुवर की दाल 
ये भी करें दान
- गन्ने का रस
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चना या चने की दाल
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गर्मी के मौसम में उपयोगी चीजें
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दूध से बनी मिठाइयां
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केशर
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अष्टगंध
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लाल चंदन
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शंख
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चाँदी के बर्तन में घी
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कस्तूरी
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मोती या मोती की माला
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काँसे के बर्तन में सोना
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माणिक रत्न
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सोने के बर्तन
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गाय
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भूमि
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DHAJ-why-akshay-tritiya-called-sobhagy-diwas-5583193-PHO.html

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