Saturday, December 9, 2017

कैसे हुआ था हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज का जन्म

भगवान श्रीराम के परमभक्त व भगवान शंकर के 11वें रुद्र अवतार श्रीहनुमान बालब्रह्मचारी थे, लेकिन बहुत ही कम लोग ये बात जानते हैं कि शास्त्रों में हनुमानजी के एक पुत्र का वर्णन भी मिलता है। हनुमानजी के पुत्र का नाम मकरध्वज था और उसका जन्म एक मछली से हुआ था। पूरी दुनिया में मात्र दो ही ऐसे मंदिर हैं, जहां भगवान हनुमान की पूजा उनके पुत्र मकरध्वज के साथ की जाती है।

कैसे हुआ था भगवान हनुमान के पुत्र मकरध्वज का जन्म
कहते हैं जिस समय हनुमानजी सीता की खोज में लंका पहुंचे। उस समय मेघनाद ने उन्हें पकड़ा और रावण के दरबार में प्रस्तुत किया। तब रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी और हनुमान ने जलती हुई पूंछ से पूरी लंका जला दी। पूंछ पर लगी अग्नि को शांत करने के लिए हनुमान जी ने अपनी पूंछ समुद्र में डाल दी।
उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी, जिसे एक मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई और उसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। उसका नाम पड़ा मकरध्वज। मकरध्वज भी हनुमानजी के समान ही महान पराक्रमी और तेजस्वी था।

1.हनुमान मकरध्वज मंदिर(भेंटद्वारिकागुजरात)

हनुमानजी व मकरध्वज का एक मंदिर गुजरात के भेंटद्वारिका में है। यह स्थान मुख्य द्वारिका से दो किलोमीटर अंदर की ओर है। इस मंदिर को दांडी हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह वही स्थान है, जहां पहली बार हनुमानजी अपने पुत्र मकरध्वज से मिले थे। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही सामने हनुमान पुत्र मकरध्वज की प्रतिमा है। वहीं पास में हनुमानजी की प्रतिमा भी है। इन दोनों प्रतिमाओं की विशेषता यह है कि इन दोनों के हाथों कोई भी शस्त्र नहीं है और यहां की मूर्तियां आनंदित मुद्रा में हैं।

2.हनुमान मकरध्वज मंदिर(ब्यावर,राजस्थान)

राजस्थान के अजमेर से 50 किलोमीटर दूर पर स्थित ब्यावर में हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज का दूसरा मंदिर है। यहां मकरध्वज के साथ हनुमानजी की भी पूजा की जाती है। प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को देश के अनेक भागों से श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां शारीरिक, मानसिक रोगों के अलावा ऊपरी बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

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