वेद माता गायत्री के मंत्र को सफलता देने वाला माना गया है। इस
मंत्र का रोजाना 108 बार जप करने से विद्यार्थी को मन एकाग्र करने में
आसानी होती है। वेदों के अनुसार गायत्री सर्वश्रेष्ठ मंत्र है। इसके जप के लिए तीन
समय बताए गए हैं। गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है सुबह का, सूर्योदय से थोड़ी
देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए।
मंत्र जप
के लिए दूसरा समय है दोपहर का। दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। तीसरा
समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर
बाद तक जप करना चाहिए। इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र का जप करना हो तो
मौन रहकर या मानसिक रूप से जप करना चाहिए। मंत्र का जप तेज आवाज में नहीं करना
चाहिए।
इस मंत्र
के नियमित जप से त्वचा में चमक आती है। आंखों की रोशनी बढ़ती है। सिद्धि प्राप्त
होती है। गुस्सा शांत होता है। ज्ञान की वृद्धि होती है। कामों में आ रही रुकावटें
दूर होने लगती है और कामयाबी मिलने लगती है।
ॐ भूर्भुव स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
गायत्री मन्त्र का अर्थ निम्न प्रकार है-
ॐ (परमात्मा) भूः (प्राण स्वरूप) भुवः (दुःख नाशक) स्वः (सुख स्वरूप) तत् (उस) सवितुः (तेजस्वी) वरेण्यं (श्रेष्ठ) भर्गः (पाप नाशक) देवस्य (दिव्य) धीमहि (धारण करें) धियो (बुद्धि) यः (जो) नः (हमारी) प्रचोदयात (प्रेरित करें)।
हिन्दी में भावार्थ
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें।
वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
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