जप करना देवी-देवताओं को
प्रसन्न करने का और उनकी कृपा पाने का एक आसान तरीका होता है। जप करते समय पूरे
विधि-विधान का ध्यान रखना जरूरी होता है। पूरी क्रिया और श्रद्धा के साथ किया गया
जप शुभ फल देना वाला होता है। पुराणों में जप से संबंधित कई बातें बताई गई हैं, जिनका ध्यान हर किसी को रखना ही चाहिए। पुराणों में 6 ऐसे कामों के बारे में बताया गया जो जप करते समय भूलकर भी
नहीं करना चाहिए।
1. छींकना मना है
देवी-देवताओं का जप करते समय
मनुष्य को अपनी छींक या खांसी पर नियंत्रण रखना चाहिए। भगवान का ध्यान करते समय
छींकने से मुंह अपवित्र हो जाता है और अपवित्र मुंह से भगवान का नाम लेना वर्जित
माना जाता है। अगर भगवान का जप करते समय छींक या खांसी आ जाए तो तुरंत हाथ-मुंह थो
कर, पवित्र हो जाना चाहिए और उसके
बाद ही जप दोबारा शुरू करना चाहिए।
2. खांसी आना
इसमें कोई संदेह नहीं है कि छींक
आना या खांसी आना एक प्राकृतिक क्रिया है। इसे रोक सकना कई बार नामुमकिन हो जाता
है। यदि जप करने के दौरान ऐसा हो तो छींकने या खांसने के तुरंत बाद हाथ-मुंह धो कर, पवित्र हो जाना चाहिए और उसके बाद ही जप
दोबारा शुरू करना चाहिए।
3. थूकना मना है
जब कभी आप देवी-देवताओं का ध्यान
करते हुए जप कर रहे हैं, तो थूकने जैसे बुरे काम नहीं करने चाहिए।
क्योंकि थूकते समय हम अपने शरीर की गंदगी को बाहर निकालते हैं। और ऐसा यदि जप के
दौरान किया जाए, तो अपवित्र माना जाता है।
4. उबासी मना है
यह बहुत लोगों की आदत होती
है, अकसर वे जप करते समय उबासी जरूर लेते हैं। लेकिन
अगर आप सच में देवी-देवताओं को प्रसन्न करना चाहते हैं तो ऐसा करने से बचें।
क्योंकि यह आलस्य की निशानी होती है और जप के दौरान आलस्य कैसा?
5. क्रोध मना है
जाप मन को शांत करने के
लिए भी किया जाता है। जाप करते समय पूर्ण निष्ठा एवं भक्ति की जरूरत पढ़ती है, इस बीच क्रोध करने से जाप में मन लगाना संभव नहीं
है। इसलिए क्रोध करने से बचें।
6. नशा मना
है
हिन्दू धर्म हो या कोई भी अन्य
धर्म, भगवान का नाम लेने के लिए तन एवं मन दोनों की
शुद्धि होना जरूरी है। जो मनुष्य शराब पीता या नशा करता है, उसके सभी पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं और उसे
नर्क की प्राप्ति होती है। भगवान का ध्यान या जप करते समय नशे के बारे में सोचना
भी महापाप माना गया है।
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