कहा जाता है
कि हमें हर पल भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए। मनुष्य को सदैव अपना मन देव भक्ति
में लगाए रखना चाहिए, लेकिन कई बार अनजाने में ही सही पर हम कुछ ऐसे काम भी कर जाते
है, जिनसे भगवान
हमसे नाराज हो जाते है और हमारा साथ छोड़ देते है। महाभारत के उद्योगपर्व में ऐसी
चार बातों के बारे में बताया गया हैं, जिनका पालन करने पर भगवान प्रसन्न होते है
और हम पर उनकी कृपा बनी रहती है।
श्लोक-
यतः सत्यं यतो
धर्मो, यर्तो ह्रीरार्जवं यतः।
ततो भवति
गोविन्दो यतः कृष्णस्ततो जयः।।
पहला और दूसरा
गुण है सत्यता और धर्म-
श्रीकृष्ण के
प्रिय थे सत्य और धर्म के प्रतीक युधिष्ठिर
युधिष्ठिर के
सत्यवादी होने की बात सभी जानते हैं। युधिष्ठिर स्वयं भगवान धर्मराज के पुत्र थे, इसलिए वे भी धर्म
के ही प्रतीक थे। युधिष्ठिर ने पूरे जीवन में धर्म का पालन किया, चाहे फिर उसकी
वजह से उन्हें दुख ही क्यों ना झेलना पड़े हो। हमेशा सच बोलने और धर्म का पालन
करने की वजह से ही श्रीकृष्ण ने हर परिस्थिति में युधिष्ठिर का साथ दिया। इसलिए
कहा जाता है, जो मनुष्य हमेशा सच बोलता है और किसी भी स्थिति में अपने
धर्म का त्याग नहीं करता है, उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है।
तीसरा
गुण है लज्जा (शर्म)-
16 हजार राजकुमारियों की लज्जा देख
श्रीकृष्ण ने कर लिया था उनसे विवाह
पुराणों के अनुसार नरकासुर नाम के राक्षस ने 16 हजार राजकुमारियों का अपहरण करके, उन्हें बंदी बना कर रखा था। श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके
सभी राजकुमारियों को उसकी कैद से आजाद किया था। जब श्रीकृष्ण ने उन राजकुमारियों
के चेहरे पर लज्जा और श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण का भाव देखा तो श्रीकृष्ण ने उन
सभी राजकुमारियों को अपनी पत्नियों के रूप में स्वीकार कर, उनसे विवाह कर लिया था। जो भक्त अपने मन में लज्जा का भाव
रखता है और सच्चे मन से भगवान की भक्ति करता है, भगवान ऐसे भक्त का साथ हर हाल में देते है।
चौथा गुण
है सरलता-
सरलता ही खासियत थी श्रीकृष्ण के
प्रिय मित्र सुदामा की
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती एक मिसाल मानी जाती है।
भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय मित्र सुदामा की सबसे बड़ी खासियत उनकी सरलता ही थी।
सुदामा के इसी गुण की वजह से वह श्रीकृष्ण को प्रिय थे। जिस मनुष्य के मन में
छल-कपट न हो,
जिसका मन साफ हो और जो दूसरों
का बुरा कभी न चाहे, ऐसे सरल
स्वभाव वाले लोगों से भगवान हमेशा प्रसन्न रहते है।
चौथा गुण
है सरलता-
सरलता ही खासियत थी श्रीकृष्ण के
प्रिय मित्र सुदामा की
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती एक मिसाल मानी जाती है।
भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय मित्र सुदामा की सबसे बड़ी खासियत उनकी सरलता ही थी।
सुदामा के इसी गुण की वजह से वह श्रीकृष्ण को प्रिय थे। जिस मनुष्य के मन में
छल-कपट न हो,
जिसका मन साफ हो और जो दूसरों
का बुरा कभी न चाहे, ऐसे सरल
स्वभाव वाले लोगों से भगवान हमेशा प्रसन्न रहते है।
https://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DGRA-UTLT-how-to-know-god-is-with-you-or-not-5775237-PHO.html?seq=1
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