ई.स. १९५० में बालक एवं युवा बच्चों के संबंध में मिड सेंच्युरी वाईट
हाऊस परिषद में विद्यमान सभासदोंद्वारा ली गई शपथ में समाविष्ट अभिभावकों के मुख्य
कर्तव्य एवं बच्चों को दिए आश्वासन आगे दिए हैं ।
१. ‘‘हम तुम्हारा पालन-पोषण अत्यंत लाड-दुलार से करेंगे । इससे
तुममें आत्मविश्वास उत्पन्न होगा एवं अन्यों के प्रति विश्वास होगा ।”
२. ‘‘हम तुम्हारे व्यक्तित्व को आदरपूर्वक स्वीकारेंगे तथा तुममें अपनत्व की भावना दृढ करने हेतु
सदैव प्रयत्नशील रहेंगे ।”
३. ‘‘हम तुम्हारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को महत्त्व देंगे एवं अन्यों की व्यक्तिगत
स्वतंत्रता का सम्मान करने के लिए सहायता करेंगे । उसी प्रकार, तुम्हें अत्यंत हंसते-खेलते वातावरण का अनुभव करवाएंगे ।”
४. ‘‘प्रथम करना, तत्पश्चात् बताना, ऐसा आचरण कर तुम्हें सच्चाई के महत्त्व का दर्शन करवाएंगे एवं नैतिक धैर्यका महत्त्व भी समझाएंगे ।”
४. ‘‘प्रथम करना, तत्पश्चात् बताना, ऐसा आचरण कर तुम्हें सच्चाई के महत्त्व का दर्शन करवाएंगे एवं नैतिक धैर्यका महत्त्व भी समझाएंगे ।”
५. ‘‘परमेश्वर पर अटूट श्रद्धा की रक्षा एवं उसमें वृद्धि करने के लिए अधिक-से-अधिक
अवसर प्राप्त करवाते रहेंगे ।”
६. ‘‘हम मन में किसी प्रकारका अविश्वास अथवा भेदभाव न रख, आपसी सहयोग से एक आदर्श एवं समतायुक्त
समाज बनाएंगे ।”
७. ‘‘हम स्वयं अद्यतन (आज से संबंध रखनेवाला ज्ञान) ज्ञान प्राप्त करने के लिए दृढ निश्चय के साथ प्रयास करेंगे ।
इससे हम तुम्हारे सुप्त बुद्धिसामथ्र्य का विकास करने के लिए तुम्हें अधिक
प्रभावी ढंग से मार्गदर्शन कर सकेंगे ।”
८. ‘‘तुम्हारे बाल्यावस्था से क्रमशः युवावस्था एवं प्रौढावस्था में जाते समय; इसी प्रकार, गृहस्थाश्रम में विद्यमान विविध
सामाजिक कर्तव्यों को पूरा करते समय एवं बच्चों तथा युवओं के सर्व प्रश्नों का समाधान करते समय हम
तुम्हें सहयोग करेंगे ।”
९. ‘‘उपर्युक्त सर्व बातों एवं वचनों की पूर्ति करना यदि संभव न हो सके, तो भी हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता, न्याय एवं परस्पर आदरपर आधारित समाज-रचना का पवित्र कर्म साध्य
करने हेतु बलिदान देने में सहयोग करने के लिए निश्चितरूप से तुम्हारा आवाहन
करेंगे ।”
१०. ‘‘तुम सबका आनंदमय वातावरणमें विकास हो, इस हेतु हम परमेश्वर पर श्रद्धा एवं आपसी विश्वास, मानव की दूरदर्शीवृत्ति एवं चैतन्यमय वातावरण के साथ कलके उज्ज्वल
भविष्य के सामने जाएंगे ।”
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