धर्म ग्रंथों में मेहमान के
महत्व के बारे में कई बातें बताई गई हैं। घर आए मेहमान को भगवान के समान माना जाता
है। हिंदू धर्म में भगवान के हवन या कई त्यौहारों पर घर आए अतिथियों को भोजन करना
का महत्व है। अतिथि के सत्कार को लेकर शिवपुराण में 4 ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनका पालन किया जाए तो मनुष्य को अतिथि को भोजन
करवाने का फल जरूर मिलता है।
1. साफ हो मन
कहा जाता है कि जिस मनुष्य का मन शुद्ध नहीं होता, उसे कभी भी अपने शुभ कर्मों का फल नहीं मिलता है। घर आए
अतिथि का सत्कार करते समय या उन्हें भोजन करवाते समय कोई भी गलत भावों को मन में
नहीं आने देना चाहिए। अतिथि सत्कार के समय जिस मनुष्य के मन में जलन, क्रोध, हिंसा जैसे बातें चलती रहती है, उसे कभी अपने कर्मों का फल नहीं मिलता है। इसलिए, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
2. शुद्ध हो शरीर
मेहमान को भगवान के समान माना जाता है। अपवित्र शरीर से
न भगवान की सेवा की जाती है और न ही मेहमान की। किसी को भी भोजन करवाने से पहले
मनुष्य को शुद्ध जल से स्नान करके, साफ कपड़े धारण करना चाहिए। अपवित्र
या बासी शरीर से की गई सेवा का फल कभी नहीं मिलता है।
3. उपहार जरुर दें
घर आए मेहमान को भोजन करवाने के बाद कुछ न कुछ उपहार में
देने का भी विधान है। अपनी श्रद्धा के अनुसार मेहमान को उपहार के रूप में कुछ जरूर
देनी चाहिए। अच्छी भावनाओं से दिया गया उपहार हमेशा ही शुभ फल देने वाला होता है।
4. आपकी वाणी हो मधुर
मनुष्य को कभी भी घर आए अतिथि का अपमान नहीं करना चाहिए।
कई बार मनुष्य क्रोध में आकर या किसी भी अन्य कारणों से घर आए मेहमान का अपमान कर
देता है। ऐसा करने पर मनुष्य पाप का भागी बन जाता है। हर मनुष्य को अपने घर आए
मेहमान का अच्छे भोजन से साथ-साथ पवित्र और मीठी
वाणी के साथ स्वागत-सत्कार करना चाहिए।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DGRA-lesson-of-shiv-puran-for-serving-food-in-hindi-news-hindi-5380710-PHO.html
1. साफ हो मन
कहा जाता है कि जिस मनुष्य का मन शुद्ध नहीं होता, उसे कभी भी अपने शुभ कर्मों का फल नहीं मिलता है। घर आए
अतिथि का सत्कार करते समय या उन्हें भोजन करवाते समय कोई भी गलत भावों को मन में
नहीं आने देना चाहिए। अतिथि सत्कार के समय जिस मनुष्य के मन में जलन, क्रोध, हिंसा जैसे बातें चलती रहती है, उसे कभी अपने कर्मों का फल नहीं मिलता है। इसलिए, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
2. शुद्ध हो शरीर
मेहमान को भगवान के समान माना जाता है। अपवित्र शरीर से
न भगवान की सेवा की जाती है और न ही मेहमान की। किसी को भी भोजन करवाने से पहले
मनुष्य को शुद्ध जल से स्नान करके, साफ कपड़े धारण करना चाहिए। अपवित्र
या बासी शरीर से की गई सेवा का फल कभी नहीं मिलता है।
3. उपहार जरुर दें
घर आए मेहमान को भोजन करवाने के बाद कुछ न कुछ उपहार में
देने का भी विधान है। अपनी श्रद्धा के अनुसार मेहमान को उपहार के रूप में कुछ जरूर
देनी चाहिए। अच्छी भावनाओं से दिया गया उपहार हमेशा ही शुभ फल देने वाला होता है।
4. आपकी वाणी हो मधुर
मनुष्य को कभी भी घर आए अतिथि का अपमान नहीं करना चाहिए।
कई बार मनुष्य क्रोध में आकर या किसी भी अन्य कारणों से घर आए मेहमान का अपमान कर
देता है। ऐसा करने पर मनुष्य पाप का भागी बन जाता है। हर मनुष्य को अपने घर आए
मेहमान का अच्छे भोजन से साथ-साथ पवित्र और मीठी
वाणी के साथ स्वागत-सत्कार करना चाहिए।http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DGRA-lesson-of-shiv-puran-for-serving-food-in-hindi-news-hindi-5380710-PHO.html
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