शास्त्रों के अनुसार दान करना पुण्य का काम है और इससे
ईश्वर की कृपा मिलती है। दान के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में कई नियम
बनाए गए हैं। ताकि दान करने वाले को अधिक से अधिक धर्म लाभ मिल सके। दान करने के
संबंध में सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि दान हमेशा सीधे हाथ से ही किया जाना
चाहिए।ऐसी मान्यता है कि सीधे हाथ से किए गए दान से परमात्मा तुरंत ही प्रसन्न
होते हैं और दानी की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
भगवान के लिए किए जाने वाले सभी पूजा काम सीधे हाथ से ही
किए जाना चाहिए। दान करने से हमारे मोह और अहम का त्याग होता है। यदि किसी व्यक्ति
के पास बहुत सारा धन है तब भी जब तक धन के प्रति मोह का त्याग नहीं करेगा तब तक वह
दान नहीं कर सकता। इसी तरह दान से अहम भी हमसे दूर होता है। इसी के साथ ही दान से
मन को शांति भी मिलती है।
सीधे हाथ का सभी धार्मिक काम में विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि
हमारे शरीर का बायां भाग स्त्रियों यानी चंद्र नाड़ी प्रतिनिधित्व करता है और दायां
भाग पुरुषों यानी सूर्य नाड़ी का। इस बात की पुष्टि शिवजी के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप
से की जा सकती है। शिवजी के इस रूप में दाएं भाग में स्वयं शिवजी और बाएं भाग में
माता पार्वती को दर्शाया जाता है। यही कारण है कि दान सीधे हाथ से करने पर शुभ
परिणाम जल्दी मिलते हैं।
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