मान्यता है कि हनुमान जी से कलियुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता
हैं। इसलिए उनसे जुड़ा कोई भी मंत्र या पाठ अन्य किसी भी मंत्र से अधिक शक्तिशाली
होता है। हनुमान जी अपने भक्तों को उनकी उपासना के फल में बल और शक्ति प्रदान करते
हैं। यदि आप सुंदरकांड पाठ के लाभ जान लेंगे तो इसे रोजाना करना पसंद करेंगे। आइए
जानते हैं सुंदरकांड के पाठ से होने वाले 5 ऐसे ही फायदों के
बारे में....
माना जाता है कि
रोजाना सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त की मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है।जहां एक
ओर पूर्ण रामचरितमानस में भगवान के गुणों को दर्शाया गया है, उनकी महिमा बताई
गई है लेकिन दूसरी ओर रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। इसमें भगवान
राम के गुणों की नहीं, बल्कि उनके भक्त के गुणों और उसकी विजय की बात बताई गई।
इसलिए सुंदरकांड का पाठ हर मनोकामना पूरी करने वाला माना गया है।
सुंदरकांड का पाठ
करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति
भटक नहीं सकती। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन
में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं, क्योंकि विज्ञान
ने भी सुंदरकांड के पाठ के महत्व को समझाया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की राय में
सुंदरकांड का पाठ भक्त के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है।
इस पाठ की एक-एक पंक्ति और उससे जुड़ा अर्थ, भक्त को जीवन में
कभी ना हार मानने की सीख प्रदान करता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी बड़ी
परीक्षा में सफल होना हो तो परीक्षा से पहले सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए।
यहां तक कि यह भी कहा
जाता है कि जब घर पर रामायण पाठ रखा जाए तो उस पूर्ण पाठ में से सुंदरकांड का पाठ
घर के किसी सदस्य को ही करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक शक्तियों का प्रवाह
होता है।
यह पाठ घर के सभी सदस्यों के ऊपर मंडरा रहे अशुभ ग्रहों छुटकारा दिलाता है।
यदि स्वयं यह पाठ ना कर सकें, तो कम से कम घर के सभी सदस्यों को यह पाठ
सुनना जरूर चाहिए। अशुभ ग्रहों का दोष दूर करने में सुंदरकांड का पाठ लाभकारी है।
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