सनातन धर्म
में किसी भी काम को करने के लिए समय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए किसी
भी शुभ काम को करने से पहले मुहूर्त देखने का रिवाज़ बनाया गया है। फिर वो समय चाहे
शादी का हो पूजन हो या और किसी काम का। हर काम को यदि उचित समय पर किया जाए तो
उसके बेहतर परिणाम मिलते हैं। समय से ज़ुड़ी ऐसी ही एक प्राचीन मान्यता है कि
सूर्यास्त के समय किसी को भी लेटना या सोना नहीं चाहिए।
धार्मिक कारण
कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में बीमारी और दरिद्रता आती
है। इस समय को भगवान की आराधना और आरती आदि के लिए श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्र
कहते हैं यदि आप बीमार नहीं है या कोई अन्य आवश्यक कारण नहीं है तो सूर्यास्त के
समय नहीं सोना चाहिए। इस समय सोने से व्यक्ति बीमार और सुस्त हो जाता है।
ये है वैज्ञानिक कारण
जो लोग इस समय सोते हैं, उन्हें अनिद्रा का रोग होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। शाम के समय सोने से रात में नींद ठीक से नहीं आती हैं। एेसे में व्यक्ति रातभर करवट बदलते रहता है। नींद के समय में हेर-फेर होने से शरीर पर्याप्त ऊर्जा एकत्र नहीं कर पाता है, जिससे कमजोरी महसूस हो सकती है,पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं, सिर दर्द, चक्कर आना आदि बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए सूर्यास्त के समय लेटना या सोना नहीं चाहिए।
जो लोग इस समय सोते हैं, उन्हें अनिद्रा का रोग होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। शाम के समय सोने से रात में नींद ठीक से नहीं आती हैं। एेसे में व्यक्ति रातभर करवट बदलते रहता है। नींद के समय में हेर-फेर होने से शरीर पर्याप्त ऊर्जा एकत्र नहीं कर पाता है, जिससे कमजोरी महसूस हो सकती है,पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं, सिर दर्द, चक्कर आना आदि बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए सूर्यास्त के समय लेटना या सोना नहीं चाहिए।
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