बेल पत्र अथवा बिल्व-पत्र
शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने से तीन युगों के पाप नष्ट हो जाते हैं। ग्रंथों
में भगवान शिव को प्रकृति रूप मानकर उनकी रचना, पालन और संहार
शक्तियों की वंदना की गई है। यही कारण है कि भगवान शिव की उपासना में भी फूल-पत्र
और फल के चढ़ावे का विशेष महत्व है। शिव को बेलपत्र या बिल्वपत्र का चढ़ावा बहुत
ही पुण्यदायी माना गया है।
बिल्वपत्र या बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है।
कहते हैं शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती
है।शिवलिंग पर गंगाजल के साथ-साथ बेलपत्र भी चढ़ाने का विधान है बेलपत्र को
संस्कृत में ‘बिल्वपत्र’
कहा जाता है. यह भगवान शिव को बहुत ही
प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता
है. पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं.
शास्त्रोक्त मान्यता हैं कि बेल के पेड़ को पानी या गंगाजल से सींचने से समस्त तीर्थो का फल प्राप्त होता हैं एवं भक्त को शिवलोक की प्राप्ति होती हैं।
शास्त्रोक्त मान्यता हैं कि बेल के पेड़ को पानी या गंगाजल से सींचने से समस्त तीर्थो का फल प्राप्त होता हैं एवं भक्त को शिवलोक की प्राप्ति होती हैं।
बेल के वृक्ष का धार्मिक महत्व हैं,
क्योकि बिल्व का वृक्ष भगवान शिव का ही
रूप है।
बिल्व-वृक्ष के मूल अर्थात उसकी जड़ में शिव लिंग स्वरूपी भगवान शिव का
वास होता हैं। इसी कारण से बिल्व के मूल में भगवान शिव का पूजन किया जाता हैं।
पूजन में इसकी मूल यानी जड़ को सींचा जाता हैं।
बिल्वमूले महादेवं लिंगरूपिणमव्ययम्।
य: पूजयति पुण्यात्मा स शिवं प्राप्नुयाद्॥
बिल्वमूले जलैर्यस्तु मूर्धानमभिषिञ्चति।
स सर्वतीर्थस्नात: स्यात्स एव भुवि पावन:॥ (शिवपुराण)
य: पूजयति पुण्यात्मा स शिवं प्राप्नुयाद्॥
बिल्वमूले जलैर्यस्तु मूर्धानमभिषिञ्चति।
स सर्वतीर्थस्नात: स्यात्स एव भुवि पावन:॥ (शिवपुराण)
भावार्थ: बिल्व के मूल में लिंगरूपी अविनाशी महादेव का पूजन जो
पुण्यात्मा व्यक्ति करता है,
उसका कल्याण होता है। जो व्यक्ति शिवजी के
ऊपर बिल्वमूल में जल चढ़ाता है उसे सब तीर्थो में स्नान का फल मिल जाता है।
बिल्व पत्र तोड़ने का मंत्र
बेल के पत्ते तोड़ने से पहले निम्न मंत्र का उच्चरण करना चाहिए-
अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा।
गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ -(आचारेन्दु)
भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।
अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा।
गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ -(आचारेन्दु)
भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।
कब न तोड़ें बिल्व कि पत्तियां?
अमारिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे ।
बिल्वपत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेत ॥(लिंगपुराण)
भावार्थ: अमावस्या, संक्रान्ति के समय, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी तिथियों तथा सोमवार के दिन बिल्व-पत्र तोड़ना वर्जित है।
बिल्वपत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेत ॥(लिंगपुराण)
भावार्थ: अमावस्या, संक्रान्ति के समय, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी तिथियों तथा सोमवार के दिन बिल्व-पत्र तोड़ना वर्जित है।
★
विशेष दिन या विशेष पर्वो के अवसर पर
बिल्व के पेड़ से पत्तियां तोड़ना निषेध हैं।
★ शास्त्रों के अनुसार बेल कि पत्तियां इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए ।
★ बेल कि पत्तियां सोमवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।
★ बेल कि पत्तियां चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या की तिथियों को नहीं तोड़ना चाहिए।
★ बेल कि पत्तियां संक्रांति के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।
★ टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए,कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए. पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न
पहुंचे.
★ बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए.
★ शास्त्रों के अनुसार बेल कि पत्तियां इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए ।
★ बेल कि पत्तियां सोमवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।
★ बेल कि पत्तियां चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या की तिथियों को नहीं तोड़ना चाहिए।
★ बेल कि पत्तियां संक्रांति के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।
★ टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए,कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए. पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न
पहुंचे.
★ बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए.
चढ़ाया गया पत्र भी पूनः चढ़ा
सकते हैं?
शास्त्रों में विशेष दिनों पर बिल्व-पत्र तोडकर चढ़ाने से मना किया गया
हैं तो यह भी कहा गया है कि इन दिनों में चढ़ाया गया बिल्व-पत्र धोकर पुन: चढ़ा
सकते हैं।
अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।
शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि चित्॥ (स्कन्दपुराण) और (आचारेन्दु)
भावार्थ: अगर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए नूतन बिल्व-पत्र न हो तो चढ़ाए गए पत्तों को बार-बार धोकर चढ़ा सकते हैं।
शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि चित्॥ (स्कन्दपुराण) और (आचारेन्दु)
भावार्थ: अगर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए नूतन बिल्व-पत्र न हो तो चढ़ाए गए पत्तों को बार-बार धोकर चढ़ा सकते हैं।
भगवान शंकर को विल्वपत्र अर्पित करने से मनुष्य कि सर्वकार्य व मनोकामना
सिद्ध होती हैं। श्रावण में विल्व पत्र अर्पित करने का विशेष महत्व शास्त्रो में
बताया गया हैं।
विल्व पत्र अर्पित करने का मंत्र
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्मपापसंहार, विल्वपत्र शिवार्पणम्
भावार्थ: तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता हूं।
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्मपापसंहार, विल्वपत्र शिवार्पणम्
भावार्थ: तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता हूं।
शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं बेलपत्र:
1. महादेव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहना चाहिए. – शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते समय साथ ही में जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए.
2. बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए. | कीड़ों द्वारा बनाये हुए सफ़ेद चिन्ह को चक्र कहते हैं|एवम् बिल्वपत्र के डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते हैं|
3. बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं. ये जितने अधिक पत्र के हों, उतने ही उत्तम माने जाते हैं.
4. अगर बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो बेल के वृक्ष के दर्शन ही कर लेना चाहिए. उससे भी पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं.
5. शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए.
6.बिल्वपत्र मिलने की मुश्किल हो तो उसके स्थान पर चांदी का बिल्व पत्र चढ़ाया जा सकता है जिसे नित्य शुद्ध जल से धो कर शिवलिंग पर पुनः स्थापित कर सकते हैं|
भगवान शिव के अंशावतार हनुमान जी को भी बेल पत्र अर्पित करने से प्रसन्न किया जा सकता है और लक्ष्मी का वर पाया जा सकता है। घर की धन-दौलत में वृद्धि होने लगती है। अधूरी कामनाओं को पूरा करता है सावन का महीना शिव पुराण अनुसार सावन माह के सोमवार को शिवालय में बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है।
बेल के पेड़ की जरा सी जड़ सफेद धागे में पिरोकर रविवार को पहनें इससे रक्तचाप, क्रोध और असाध्य रोगों से निजात मिलेगा।
1. महादेव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहना चाहिए. – शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते समय साथ ही में जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए.
2. बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए. | कीड़ों द्वारा बनाये हुए सफ़ेद चिन्ह को चक्र कहते हैं|एवम् बिल्वपत्र के डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते हैं|
3. बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं. ये जितने अधिक पत्र के हों, उतने ही उत्तम माने जाते हैं.
4. अगर बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो बेल के वृक्ष के दर्शन ही कर लेना चाहिए. उससे भी पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं.
5. शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए.
6.बिल्वपत्र मिलने की मुश्किल हो तो उसके स्थान पर चांदी का बिल्व पत्र चढ़ाया जा सकता है जिसे नित्य शुद्ध जल से धो कर शिवलिंग पर पुनः स्थापित कर सकते हैं|
भगवान शिव के अंशावतार हनुमान जी को भी बेल पत्र अर्पित करने से प्रसन्न किया जा सकता है और लक्ष्मी का वर पाया जा सकता है। घर की धन-दौलत में वृद्धि होने लगती है। अधूरी कामनाओं को पूरा करता है सावन का महीना शिव पुराण अनुसार सावन माह के सोमवार को शिवालय में बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है।
बेल के पेड़ की जरा सी जड़ सफेद धागे में पिरोकर रविवार को पहनें इससे रक्तचाप, क्रोध और असाध्य रोगों से निजात मिलेगा।
बिल्व पत्र को श्री वृक्ष भी कहा जाता है। बिल्व पत्र का पूजन पाप व
दरिद्रता का अंत कर वैभवशाली बनाने वाला माना गया है। घर में बेल पत्र लगाने से
देवी महालक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं। इन पत्तों को लक्ष्मी का रूप माना जाता
है। इन्हें अपने पास रखने से कभी धन-दौलत का अभाव नहीं होता।
शादी में देरी हो रही हो तो कैसे करें बेलपत्र का
प्रयोग?
कई बार ना चाहते हुए भी शादी में देरी होने लगती है. कोई भी रिश्ता तय
नहीं हो पाता. इसका कारण जो भी हो पर बेलपत्र के उपाय से इस समस्या का समाधान जरूर
हो सकता है. तो आइए जानते हैं बेलपत्र के प्रयोग से कैसे मनचाहे समय पर होगा आपका
विवाह…
108 बेलपत्र
लें और हर बेलपत्र पर चन्दन से ‘राम’
लिखें.
‘ॐ नमः शिवाय’ कहते हुए बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं.
सारे बेल पत्र चढ़ाने के बाद शिव जी से शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें.
गंभीर बीमारियों से छुटकारा दिलाएगा बेलपत्र शिव जी का प्रिय बेलपत्र गंभीर बीमारियों से भी आपको छुटकारा दिला सकता है. अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से परेशान हैं और हर इलाज नाकाम हो रहा है तो अब आपकी ये बीमारी बेलपत्र के प्रयोग से खुद ब खुद दूर हो जाएगी…
108 बेलपत्र लें और एक पात्र में चन्दन का इत्र भी लें.
अब एक-एक बेलपत्र चन्दन में डुबाते जाएं और शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं.
हर बेलपत्र के साथ ‘ॐ हौं जूं सः’ का जाप करते रहें.
मंत्र जाप के बाद जल्दी स्वस्थ होने की प्रार्थना करें.
‘ॐ नमः शिवाय’ कहते हुए बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं.
सारे बेल पत्र चढ़ाने के बाद शिव जी से शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें.
गंभीर बीमारियों से छुटकारा दिलाएगा बेलपत्र शिव जी का प्रिय बेलपत्र गंभीर बीमारियों से भी आपको छुटकारा दिला सकता है. अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से परेशान हैं और हर इलाज नाकाम हो रहा है तो अब आपकी ये बीमारी बेलपत्र के प्रयोग से खुद ब खुद दूर हो जाएगी…
108 बेलपत्र लें और एक पात्र में चन्दन का इत्र भी लें.
अब एक-एक बेलपत्र चन्दन में डुबाते जाएं और शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं.
हर बेलपत्र के साथ ‘ॐ हौं जूं सः’ का जाप करते रहें.
मंत्र जाप के बाद जल्दी स्वस्थ होने की प्रार्थना करें.
बेलपत्र के आयुर्वेदिक प्रयोग
बेलपत्र का केवल दैवीय प्रयोग नहीं है. यह तमाम औषधियों में भी काम आता
है. इसके प्रयोग से आपकी सेहत से जुड़ी तमाम समस्याएं चुटकियों में हल होती हैं.
आइए जानें क्या-क्या हैं बेलपत्र के औषधीय प्रयोग…
बेलपत्र का रस आंख में डालने से आंखों की ज्योति बढ़ती है.
बेलपत्र का काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से खांसी से राहत मिलती है.
सुबह 11 बेलपत्रों का रस पीने से पुराना सिरदर्द भी ठीक हो जाता है.
आइए जानें क्या-क्या हैं बेलपत्र के औषधीय प्रयोग…
बेलपत्र का रस आंख में डालने से आंखों की ज्योति बढ़ती है.
बेलपत्र का काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से खांसी से राहत मिलती है.
सुबह 11 बेलपत्रों का रस पीने से पुराना सिरदर्द भी ठीक हो जाता है.
अगर मुकदमे या विवाद से छुटकारा
पाना हो
अगर आपकी जिंदगी विवादों से घिरी रहती है. कोर्ट-कचहरी के चक्कर आपका
पीछा नहीं छोड़ रहे हो तो बेलपत्र के एक प्रयोग से इस समस्या का भी समाधान हो सकता
है…
रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में रामराज्याभिषेक तक जाएं.
राज्याभिषेक के समय शिव जी ने श्री राम की जो स्तुति की है उसका पाठ करें.
रोज सुबह प्रेम सहित श्री राम स्तुति का पाठ करने से सारी बाधाएं दूर होंगी.
रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में रामराज्याभिषेक तक जाएं.
राज्याभिषेक के समय शिव जी ने श्री राम की जो स्तुति की है उसका पाठ करें.
रोज सुबह प्रेम सहित श्री राम स्तुति का पाठ करने से सारी बाधाएं दूर होंगी.
बेलपत्र के प्रयोग से कैसे भरेगी
सूनी गोद?
जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने. संतान प्राप्ति की आपकी
ख्वाहिश बहुत जल्दी पूरी हो सकती है. अगर आप संतान की ख्वाहिश में दर-दर भटक रहे
हैं तो बेलपत्र के कारगर औऱ चमत्कारी प्रयोग से बहुत जल्दी आपकी सूनी गोद भर सकती
है. इसके करें ये उपाय…
अपनी उम्र के बराबर बेलपत्र लें और एक बर्तन में कच्चा दूध लें.
एक-एक बेलपत्र दूध में डूबाते जाएं और शिवलिंग पर चढ़ाए जाएं.
हर बेलपत्र चढ़ाने के साथ ‘ॐ नमो भगवते महादेवाय’ का जाप करें.
इसके बाद महादेव से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें.
एक-एक बेलपत्र दूध में डूबाते जाएं और शिवलिंग पर चढ़ाए जाएं.
हर बेलपत्र चढ़ाने के साथ ‘ॐ नमो भगवते महादेवाय’ का जाप करें.
इसके बाद महादेव से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें.
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