यह कथा भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप सत्यनारायण की व्रत
कथा है। सत्यनारायण भगवान की कथा लोगो में बहुत प्रचलित है। यह हिंदू धर्म में
सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा है। कुछ लोग मन्नत पूरी होने पर या कुछ लोग नियमित रूप
से इस कथा का आयोजन करते हैं।
सत्यनारायण भगवान की पूजा
भगवान विष्णु को पूजना ही सत्यनारायण की पूजा है। भगवान की
पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से ही एक भगवान सत्यनारायण है। विद्वानों की माने तो
स्कंद पुराण के रेवाखंड में इस कथा का उल्लेख मिलता है। इसके मूल पाठ में पाठांतर
से करीब 170 श्लोक संस्कृत भाषा मे उपलब्ध है। जो पांच अध्यायों में
बंटे हुए हैं। इस कथा के दो प्रमुख विषय हैं। जिनमें एक है संकल्प को भूलना और
दूसरा है प्रसाद का अपमान। सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है व्रत कथा के
अलग-अलग अध्यायों में छोटी – छोटी कहानियों के माध्यम से बताया गया है कि सत्य का पालन न
करने पर किस तरह की परेशानियां आती है। सत्य का पालन न करने पर भगवान न केवल नाराज
होते हैं दंड के रूप में सम्पत्ति और बंधु के सुख से वंचित भी कर देते हैं।
सत्यनारायण भगवान के पूजा का सामान
इनकी पूजा में केले के पत्ते व फल के अलावा पंचामृत, सुपारी , पान , तिल , मोली , रोली , कुमकुम , दूर्वा की आवश्यकता होती है।
जिनसे भगवान की पूजा होती है। सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, मधु, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया
जाता है प्रसाद में आटे को भून कर सत्तू बनाया जाता है या हलवे का भोग लगाया जाता
है।
सत्य नारायण व्रत की मान्यता क्या है जाने
सत्यनारायण व्रत करके मनुष्य सभी दु:खों से मुक्त हो जाता
है। कल युग में सत्य की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। सत्य के अनेक नाम हैं,सत्यनारायण, सत्यदेव। सनातन सत्य रूपी
विष्णु भगवान कलयुग में अनेक रूप धारण करके लोगों को मनोवांछित फल देंगे। ऐसा माना
गया है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-SAS-why-is-satyanarayan-puja-performed-news-hindi-5494314-PHO.html
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