सनातन
धर्म
के अनुसार, एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है,
लेकिन
आमजन केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। इनके
अलावा माघ व आषाढ़ मास में भी नवरात्रि का पर्व गुप्त रूप से मनाया जाता है। इसलिए
इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ माघ
शुक्ल प्रतिपदा ( 9 फरवरी,
मंगलवार)
से हो रहा है, जो 16 फरवरी,
मंगलवार
को समाप्त होगी।
क्यों कहते हैं इसे गुप्त नवरात्रि?
माघ
मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि
इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है। जबकि चैत्र व शारदीय
नवरात्रि में सार्वजननिक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है। आषाढ़ मास की
गुप्त नवरात्रि में जहां वामाचार उपासना की जाती है, वहीं
माघ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है।
ग्रंथों के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष का विशेष महत्व है।
शुक्ल
पक्ष की पंचमी को ही देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इन्हीं कारणों से माघ मास की
नवरात्रि में सनातन, वैदिक रीति के अनुसार देवी साधना
करने का विधान निश्चित किया गया है। गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां
पाने का समय है। साधक इन दोनों गुप्त नवरात्रि (माघ तथा आषाढ़) में विशेष साधना
करते हैं तथा चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करते हैं।
साल में कब-कब आती है नवरात्रि, जानिए
हिंदू
धर्म के अनुसार, एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है।
वर्ष के प्रथम मास अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे माह आषाढ़ में
दूसरी नवरात्रि होती है। इसके बाद अश्विन मास में प्रमुख नवरात्रि होती है। इसी
प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात माघ में भी गुप्त नवरात्रि मनाने का उल्लेख
एवं विधान देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
अश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस दौरान गरबों के माध्यम से माता की आराधना की जाती है। दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इन दोनों नवरात्रियों को क्रमश: शारदीय व वासंती नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है। इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
अश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस दौरान गरबों के माध्यम से माता की आराधना की जाती है। दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इन दोनों नवरात्रियों को क्रमश: शारदीय व वासंती नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है। इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
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