Tuesday, January 17, 2017

शुरू हो चुका है हिंदू कैलेंडर का 11वां महीना, जानिए इसका महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल के 11वें महीने का नाम माघ है। धर्म शास्त्रों में इस महीने को बहुत पवित्र माना गया है। इस बार माघ मास का प्रारंभ 13 जनवरी, शुक्रवार से हो चुका है, जो 10 फरवरी, शुक्रवार तक रहेगा। इस मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने तथा नदी स्नान करने से मनुष्य स्वर्गलोक में स्थान पाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार-

स्वर्गलोके चिरं वासो येषां मनसि वर्तते।
यत्र क्वापि जले तैस्तु स्नातव्यं मृगभास्करे।।

अर्थ- जिन मनुष्यों को चिरकाल तक स्वर्गलोक में रहने की इच्छा हो, उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर पवित्र नदी में सुबह स्नान करना चाहिए।

माघं तु नियतो मासमेकभक्तेन य: क्षिपेत्।
श्रीमत्कुले ज्ञातिमध्ये स महत्त्वं प्रपद्यते।।
(
महाभारत अनु. 106/5)

अर्थ-जो माघ मास में नियमपूर्वक एक समय भोजन करता है, वह धनवान कुल में जन्म लेकर अपने कुटुम्बीजनों में महत्व को प्राप्त होता है।

अहोरात्रेण द्वादश्यां माघमासे तु माधवम्।
राजसूयमवाप्रोति कुलं चैव समुद्धरेत्।।
(
महाभारत अनु. 109/5)

अर्थ- माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूययज्ञ का फल प्राप्त होता है और वह अपने कुल का उद्धार करता है।

माघ मास की कथा इस प्रकार है-
प्राचीन काल में नर्मदा के तट पर सुव्रत नामक एक ब्राह्मण रहते थे। वे समस्त वेद-वेदांगों, धर्मशास्त्रों व पुराणों के ज्ञाता थे। वे अनेक देशों की भाषाएं व लिपियां भी जानते थे। इतना विद्वान होते हुए भी उन्होंने अपने ज्ञान का उपयोग धर्म के कामों में नहीं किया। पूरा जीवन केवल धन कमाने में ही गवां दिया। जब सुव्रत बूढ़े हो गए तब उन्हें याद आया कि मैंने धन तो बहुत कमाया, लेकिन परलोक सुधारने के लिए कोई काम नहीं किया। यह सोचकर वे पश्चाताप करने लगे। उसी रात चोरों ने उनके धन को चुरा लिया, लेकिन सुव्रत को इसका कोई दु:ख नहीं हुआ क्योंकि वे तो परमात्मा को प्राप्त करने के लिए उपाय सोच रहे थे। तभी सुव्रत को एक श्लोक याद आया-
माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।।
सुव्रत को अपने उद्धार का मूल मंत्र मिल गया। सुव्रत ने माघ स्नान का संकल्प लिया और नौ दिनों तक प्रात: नर्मदा के जल में स्नान किया। दसवें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। सुव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा काम नहीं किया था, लेकिन माघ मास में स्नान करके पश्चाताप करने से उनका मन निर्मल हो चुका था। जब उन्होंने अपने प्राण त्यागे तो उन्हें लेने दिव्य विमान आया और उस पर बैठकर वे स्वर्गलोक चले गए।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DHAJ-maagh-month-start-on-13-january-news-hindi-5504258-PHO.html

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