गणेश पूजा से जुड़ी कुछ ऐसी बातें हैं, जिनका ध्यान रखने से गणपति जल्दी प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार
गणेशजी के सभी अंगों पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े खास अंग विराजमान हैं। गणेशजी
की पीठ पर दरिद्रता यानी गरीबी निवास करती है। इसी वजह से इनकी पीठ के दर्शन
वर्जित किए गए हैं। जो लोग उनकी पीठ के दर्शन करते हैं, उन्हें धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
गणेशजी की सूंड पर धर्म
विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान
है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर ये सभी सुख प्राप्त होते हैं।
गणेशजी की पीठ पर दरिद्रता
का वास होता है। गणेशजी की पीठ के दर्शन करने वाला व्यक्ति यदि बहुत धनवान भी हो
तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है। इसी वजह से इनकी पीठ नहीं देखना
चाहिए। जाने-अनजाने पीठ देख ले तो गणेशजी से क्षमा याचना कर उनका पूजन करना चाहिए।
तब बुरा प्रभाव नष्ट हो जाता है।
गणेशजी को तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए। कथाओं के अनुसार तुलसी ने गणेशजी को और
गणेशजी ने तुलसी को शाप दिया था। इसी शाप के कारण गणेशजी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती
है।
घर में यदि गणेशजी की प्रतिमाएं रखनी हैं तो उनकी संख्या सम यानी 2, 4, 6 होनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार मूर्तियों
की संख्या विषम यानी 1,
3, 5 नहीं होनी चाहिए।
शिवजी के साथ ही उनके पुत्र गणेशजी को भी केतकी के फूल न चढ़ाएं। मान्यता के
अनुसार ब्रह्माजी ने एक झूठ बोला था, जिसमें केतकी ने साथ दिया था। तभी से शिव परिवार की पूजा में केतकी के फूल
नहीं चढ़ाएं जाते हैं।
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