पितृ पूजन का पर्व 16 श्राद्ध इस बार 15 दिन के होंगे तो देवी पूजा की नवरात्रि 10 दिन तक मनाई जाएगी। यह अनूठा संयोग 427 साल के बाद बना है। तिथियों में घट-बढ़त होने से श्राद्ध पक्ष का एक दिन कम हो गया और नवरात्रि का एक दिन बढ़ गया है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला के अनुसार, श्राद्ध के दौरान 24 सितंबर को अष्टमी व नवमी तिथि साथ आने से पितृ पूजन का एक दिन घटकर 15 दिन ही यह पर्व मनाया जा सकेगा। 16 सितंबर को श्राद्ध पक्ष शुरू होकर 30 सितंबर को सर्वपिृत अमावस्या पर समाप्त होगा। जो लोग अष्टमी व नवमी तिथि पर पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध करते हैं। वे एक ही दिन सुबह अष्टमी और दोपहर बाद नवमी का श्राद्ध करें। नवरात्रि 1 से 10 अक्टूबर तक रहेगी। तृतीया तिथि दो दिन 3 से 4 अक्टूबर तक मनेगी। इसलिए नवरात्रि नौ की बजाए 10 दिन की होगी। ग्यारहवें दिन 11 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। श्राद्ध व नवरात्रि में तिथियों के घट-बढ़ का संयोग इसके पहले 1589 में बना था। और आगे साढ़े चार सौ वर्ष के बाद बनेगा।
सालों पहले जैसे सात ग्रह भी उन्हीं राशि में
457 साल पहले जब श्राद्ध व नवरात्रि की तिथियों में घट-बढ़ की स्थिति बनी थी। और उस समय नौ में से सात प्रमुख ग्रहों की जो स्थिति थी। वह 2016 में इस समय भी वैसी ही है। सूर्य व गुरु कन्या राशि में, शुक्र तुला राशि में, मंगल धनु राशि में, केतु कुंभ राशि में और राहू व बुध सिंह राशि में विद्यमान है।
श्राद्ध घटने व नवरात्रि बढ़ना शुभ फलदायी
श्राद्ध में तिथि का क्षय इस पक्ष में आ रहे गुरु आदित्य योग, शुभ कर्तनी योग व गज छाया जैसे योग इसकी प्रबलता को बढ़ाकर पुण्यदायी बनाएंगे। नवरात्रि में तिथि की वृद्धि होने से देवी आराधना एक दिन ज्यादा होगी। यह क्रम शुभ फलदायी है।
किस दिन कौन सा श्राद्ध
16 सितंबर- पूर्णिमा
17 सितंबर- प्रतिपदा
18 सितंबर- द्वितीया
19 सितंबर- तृतीया
20 सितंबर- चतुर्थी
21 सितंबर- पंचमी
22 सितंबर- छठ
23 सितंबर- सप्तमी
24 सितंबर- अष्टमी-नवमी
25 सितंबर- दशमी
26 सितंबर- एकादशी
27 सितंबर- द्वादशी
28 सितंबर- त्रयोदशी
29 सितंबर- चतुर्दशी
30 सितंबर- सर्वपितृ अमावस्या
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JYO-RAN-shradha-and-navratri-news-hindi-5417528-PHO.html
No comments:
Post a Comment