Saturday, March 12, 2016

मंदिर से जुड़ी इन 7 परंपराओं के पीछे हैं ये वैज्ञानिक कारण



मंदिर जाने से मन को शांति मिलती है। इसलिए लोग मंदिर जाते हैं, लेकिन यहां दर्शन करने के पीछे छुपे वैज्ञा‍निक कारण कम ही लोगों को पता हैं। दरअसल, मंदिर में दर्शन के पीछे सबसे बड़ा कारण, सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करना होता है।इस सकारात्मक ऊर्जा को सिर्फ तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब शरीर की पांचों इंद्रियां सक्रिय हों।
1. मंदिर की संरचना और स्थान के पीछे वैज्ञानिक कारण
मंदिर के लिए हमेशा वो जगह चुनी जाती है जहां सकरात्मक ऊर्जा अधिक हो। एक ऐसा स्थान जहां उत्तरी ओर से सकारात्मक रूप से चुंबकीय और विद्युत तरंगों का प्रवाह हो। अक्सर ऐसे ही स्थान पर बड़े मंदिर का निर्माण करवाया जाता है, ताकि लोगों के शरीर में अधिकतम सकारात्मक ऊर्जा मिल सके।
2. मंदिर में घंटा लगाने का कारण
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।
3. चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं
मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।
4. भगवान की मूर्ति
मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।
5. दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण
आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।
6. मूर्ति पर फूल चढ़ाने के कारण
भगवान की मूर्ति पर फूल चढ़ाना भी एक परंपरा है। ऐसा करने से मंदिर परिसर में अच्छी और भीनी-भीनी सी खुश्बू आती है। अगरबत्ती, कपूर और फूलों की खुश्बू से सूंघने की शक्ति बढ़ती है और मन प्रसन्न हो जाता है।
7. परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण
हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-GYVG-this-temple-is-associated-with-the-scientific-reason-behind-these-7-traditions-5272237-P.html

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