Friday, July 28, 2017

पूजा में पंचामृत चढ़ाने के पीछे ये हैं वैज्ञानिक कारण, इससे होने वाले फायदे

हिंदू धर्म में पूजा के समय पंचामृत चढ़ाने का विशेष महत्व माना गया है। जैसे चरणामृत का अर्थ होता है भगवान के चरणों का अमृत । उसी तरह पंचामृत का अर्थ होता है पांच अमृत यानि पांच पवित्र वस्तुओं से बना। दोनों को ही पीने से व्यक्ति के भीतर जहां सकारात्मक भावों की उत्पत्ति होती है वहीं यह सेहत से जुड़ा मामला भी है। पंचामृत : का अर्थ है पांच अमृत। दूध, दही, घी, शहद, चीनी को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। पांचों प्रकार के मिश्रण से बनने वाला पंचामृत कई रोगों में लाभदायक और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है।
इसका एक आध्यात्मिक पहलू भी है। वह यह कि पंचामृत आत्मोन्नति के 5 प्रतीक हैं।

दूध-दूध पंचामृत का पहला भाग है। यह शुभता का प्रतीक है यानी हमारा जीवन दूध की तरह साफ और सुंदर होना चाहिए।

दही- दही का गुण है कि यह दूसरों को अपने जैसा बनाता है। दही चढ़ाने का अर्थ यही है कि पहले हम निष्कलंक हो सद्गुण अपनाएं और दूसरों को भी अपने जैसा बनाएं।

घी-घी प्रेम का प्रतीक है। सभी से हमारे प्रेमयुक्त संबंध हो, यही भावना है।

शहद-शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी होता है। निर्बल व्यक्ति जीवन में कुछ नहीं कर सकता, तन और मन से शक्तिशाली व्यक्ति ही सफलता पा सकता है।

चीनी-चीनी का गुण है मिठास, चीनी चढ़ाने का अर्थ है जीवन में मिठास घोलें। मीठा बोलना सभी को अच्छा लगता है और इससे मधुर व्यवहार बनता है। गुणों से हमारे जीवन में सफलता हमारे कदम चूमती है।
लाभ -1.पंचामृत का सेवन करने से शरीर ताकतवर और बीमारियों से मुक्त रहता है।

2. 
पंचामृत से जिस तरह हम भगवान को स्नान कराते हैं ऐसा ही खुद स्नान करने से शरीर की कांति बढ़ती है। पंचामृत उसी मात्रा में सेवन करना चाहिए जिस मात्रा में किया जाता है। उससे ज्यादा नहीं।

3. 
इसमें तुलसी का एक पत्ता डालकर इसका नियमित सेवन करते रहने से आजीवन किसी भी तरह का बड़ा रोग और शोक नहीं होता।


4. 
इसके सेवन से कैंसर, हार्ट अटैक, कब्ज और ब्लड प्रेशर जैसी रोगों से बचा जा सकता है। पंचामृत के और भी कई लाभ होते हैं।

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