रामायण में जब श्रीराम ने बालि
को बाण मारा तो वह घायल होकर गिर पड़ा था। इस हालत में जब उसका पुत्र अंगद उसके
पास आया तब बालि ने उसे ज्ञान की कुछ बातें बताई थीं। ये बातें आज भी हमें कई
परेशानियों से बचा सकती हैं। यहां जानिए ये बातें कौन सी हैं...
मरते समय बालि ने अंगद से कहा-
देशकालौ भजस्वाद्य क्षममाण: प्रियाप्रिये।
सुखदु:खसह: काले सुग्रीववशगो भव।।
इस
श्लोक में बालि ने अगंद को ज्ञान की तीन बातें बताई हैं...
1. देश काल और परिस्थितियों को समझो। इसके बाद ही आगे बढ़ना
चाहिए।
2. किसके साथ कब, कहां और कैसा व्यवहार करें, इसका सही निर्णय लेना चाहिए।
3. पसंद-नापसंद, सुख-दुख को सहन करना चाहिए और
क्षमाभाव के साथ जीना चाहिए।
बालि
ने अंगद से कहा ये बातें ध्यान रखते हुए अब से सुग्रीव के साथ रहो।
ये है बालि वध का प्रसंग...
जब बालि श्रीराम के बाण से घायल
होकर गिर पड़ा, तब बालि ने श्रीराम से कहा- ‘आप धर्म की रक्षा करते हैं तो मुझे इस प्रकार बाण क्यों
मारा?’
इस प्रश्न के जवाब में श्रीराम
ने कहा- ‘छोटे भाई की पत्नी, बहिन, पुत्र की पत्नी और पुत्री, ये सब समान होती हैं और जो
व्यक्ति इन्हें बुरी नजर से देखता है, उसे
मारने में कुछ भी पाप नहीं होता है। बालि, तूने
अपने भाई सुग्रीव की पत्नी पर बुरी नजर रखी और सुग्रीव को मारना चाहा। इस पाप के
कारण तुझे बाण मारा है।‘
इस जवाब से बालि संतुष्ट हो गया
और श्रीराम से अपने किए पापों की क्षमा याचना की। इसके बाद बालि ने अगंद को
श्रीराम की सेवा में सौंप दिया।
इसके बाद बालि ने प्राण त्याग
दिए। बाली की पत्नी तारा रोने लगी। तब श्रीराम ने तारा को ज्ञान दिया कि यह शरीर
पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से मिलकर बना है।
बालि का शरीर तुम्हारे सामने सोया है, लेकिन
उसकी आत्मा अमर है तो रोना नहीं चाहिए। इस प्रकार समझाने के बाद तारा शांत हुई।
श्रीराम में सुग्रीव को राज्य सौंप दिया।
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