कई लोगों की आदत होती है जिस पर विश्वास करेंगे, आंखें मूंद कर करेंगे और जिस पर विश्वास न हो, उसका अपमान करेंगे। भगवान और भक्ति के मामले भी कुछ लोगों
का नजरिया ऐसा ही होता है। जिस भगवान को मानते हैं, उसे सबकुछ
मानेंगे, लेकिन दूसरे देवी-देवताओं को वे अविश्वास की नजर से
देखते हैं। आप जिसे मानते हैं, पूजते हैं, उसे पूजें, लेकिन दूसरे
देवी-देवताओं को भी नजरअंदाज न करें।
किसी एक पर विश्वास करने का मतलब यह नहीं होता कि
दूसरे में अविश्वास करें या उनका अपमान करें। विश्वास करने का अर्थ है सबका सम्मान
करें। तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा की 35वीं चौपाई में
समझाया है कि विश्वास का क्या अर्थ है…
ये है हनुमान चालीसा की 35वीं चौपाई
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
इस चौपाई का अर्थ यह है कि- हे हनुमानजी, आपकी इस महिमा को जान लेने के बाद लोग अन्य देवताओं को अपने चित्त (मन या हृदय) में स्थान नहीं देंगे। केवल आपकी ही सेवा में सारे सुख मिल जाएंगे। 'और देवता' कहने का एक अन्य अर्थ भी है। 'और अधिक' देवताओं को चित्त में न रखें। जो भी आपके इष्ट हों, उन्हें बनाए रखें, लेकिन दूसरों के इष्ट की आलोचना भी न करें।
इस चौपाई का अर्थ यह है कि- हे हनुमानजी, आपकी इस महिमा को जान लेने के बाद लोग अन्य देवताओं को अपने चित्त (मन या हृदय) में स्थान नहीं देंगे। केवल आपकी ही सेवा में सारे सुख मिल जाएंगे। 'और देवता' कहने का एक अन्य अर्थ भी है। 'और अधिक' देवताओं को चित्त में न रखें। जो भी आपके इष्ट हों, उन्हें बनाए रखें, लेकिन दूसरों के इष्ट की आलोचना भी न करें।
इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि यदि हनुमानजी
को आप पूजेंगे, तो अन्य देवता आपको परेशान नहीं करेंगे। जैसे होता है कि कभी हम
सोचते हैं शनि महाराज नाराज हो जाएंगे। तो तुलसीदासजी यह आश्वासन दे रहे हैं कि
चिंता न की जाए। जिन्हें ज्योतिष में विश्वास है, वे ग्रहों के रूप में शनि को अत्यधिक अशुभ
मानते हैं। यदि किसी व्यक्ति की राशि में शनि का प्रवेश हो, तो हर संभव
प्रयास किया जाता है कि इस ग्रह के कोप से बचा जाए।
एक बार गर्व में डूबे सूर्य पुत्र शनि ने
श्रीराम की भक्ति में लीन हनुमानजी को बाधा पहुंचाई। हनुमानजी ने शनिदेव को समझाया
कि वे ध्यान कर रहे हैं, परेशान न करें। किन्तु, शनिदेव ने उन्हें बलपूर्वक युद्ध के लिए
ललकारा। तब हनुमानजी ने अपनी पूंछ से शनिदेव को लपेटा और चारों ओर घुमाते हुए
चट्टानों पर पटक-पटक कर लहूलुहान कर दिया। इसके बाद शनिदेव ने अपनी मुक्ति के लिए
हनुमानजी को यह वचन दिया कि 'मैं कभी आपके भक्तों को परेशान नहीं करूंगा।' अपने घावों से
परेशान होकर शनिदेव तेल-तेल का विलाप करने लगे। इसीलिए उन्हें तेल चढ़ाकर प्रसन्न
किया जाता है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DHAJ-worship-tips-in-hindi-for-lord-hanumanji-in-hindi-news-hindi-5478349-PHO.html
No comments:
Post a Comment