Monday, November 21, 2016

कालभैरव जयंती आज : इस विधि से करें पूजा, चढ़ाएं नीले फूल

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी कहते हैं। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव ने इसी दिन कालभैरव के रूप अवतार लिया था। इस बार कालभैरव अष्टमी 21 नवंबर, सोमवार को है। इस दिन भगवान कालभैरव की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान कालभैरव का पूजन इस विधि से करें-
पूजन विधि
कालभैरव अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद समीप स्थित किसी भैरव मंदिर में जाएं। अबीर, गुलाल, चावल, फूल, सिंदूर आदि चढ़ाकर कालभैरव की पूजा करें। नीले फूल चढ़ाने से विशेष लाभ मिलता है। भगवान को भोग के रूप में दही के साथ उड़द के बड़े अर्पित करें। मिठाई का प्रसाद भी चढ़ाएं। सरसो के तेल का दीपक लगाएं। मंदिर में ही बैठकर श्रीकालभैरवाष्टकम का पाठ करें। भैरवजी का वाहन कुत्ता है, अत: इस दिन कुत्तों को भी मिठाई खिलाएं। इस प्रकार भगवान कालभैरव का पूजन करने से साधक की हर मनोकामना पूरी हो सकती है।

कालभैरवाष्टकम्
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपंकजं।व्यालयज्ञसूत्रमिंदुशेखरं कृपाकरम् ॥
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबर।काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥1
भानुकोटिभास्वरं भावाब्धितारकं परं।नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्॥
कालकालमम्बुजाक्षमक्षशूलमक्षरं।काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥2
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं।श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्॥
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रतांडवप्रियं।काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥3
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तलोकविग्रहं।भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहं।
विनिक्कणन्मनोज्ञहेमकिंकिणीलसत्कटिं।काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥4
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं।कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुं॥
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं।काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥5
रत्न५पादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं।नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्॥
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं।काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥6
अट्टाहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं।दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनं॥
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं।काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥7
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं।काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुं॥
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं।काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥8
कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं।ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनं॥
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनम्।प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधि ध्रूवम॥9

उग्र है कालभैरव का स्वरूपशिवजी का विश्वेश्वरस्वरूप अत्यंत ही सौम्य और शांत है। यह भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है। रुद्रमाला से सुशोभित, जिनकी आंखों में से आग की लपटें निकलती हैं, जिनके हाथ में कपाल है, जो अति उग्र हैं, ऐसे कालभैरव को मैं वंदन करता हूं।- भगवान कालभैरव की इस वंदनात्मक प्रार्थना से ही उनके भयंकर एवं उग्ररूप का परिचय हमें मिलता है।
तंत्र-मंत्र के ज्ञाता हैं कालभैरव
भगवान भैरवनाथजी तंत्र-मंत्र विधाओं के ज्ञाता हैं। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। भैरवनाथ अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं। वे सृष्टि की रचना, पालन और संहार करते हैं।
कालभैरव के साथ करें देवी कालिका की पूजा
कालभैरव अष्टमी पर भगवान कालभैरव के साथ देवी कालिका की पूजा-अर्चना एवं व्रत का विधान है। देवी काली की उपासना करने वालों को आधी रात के बाद मां की वैसे ही पूजा करनी चाहिए जैसे दुर्गा पूजा में सप्तमी को देवी कालरात्रि की पूजा होती है।
माता दुर्गा के विभिन्न रूपों के चित्रों में शेर सवार माता के आगे एक ओर हनुमानजी और दूसरी ओर भैरव होते हैं। वास्तव में भैरवजी और हनुमानजी वीर शक्तियां हैं। जब-जब माता दैत्यों का वध करती हैं वीर भैरव और हनुमानजी इन दैत्यों पर अपनी संपूर्ण शक्ति से घात करते हैं।
कालभैरव के पूजन से मिलते हैं ये सुख
भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की रक्षा होती है। भैरव तंत्रोक्त, बटुक भैरव कवच, काल भैरव स्तोत्र, बटुक भैरव ब्रह्म कवच आदि का नियमित पाठ करने से कई परेशानियां खत्म होती हैं।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DHAJ-do-lord-kaal-bhairav-worship-by-this-method-news-hindi-5462271-PHO.html

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