Wednesday, November 16, 2016

मार्गशीर्ष (अगहन) मास: भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है ये महीना

हिंदू पंचांग के अनुसार, 15 नवंबर, मंगलवार से मार्गशीर्ष (अगहन) मास का प्रारंभ हो चुका है। यह महीना 13 दिसंबर, मंगलवार तक रहेगा। शास्त्रों में इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है। इस महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व है। साधारण शंख को श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं। अगहन मास में शंख की पूजा इस मंत्र से करनी चाहिए-

पंचजन्य पूजा मंत्र

त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।
शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥

पुराणों के अनुसार, विधि-विधान से अगहन मास में शंख की पूजा की जानी चाहिए। जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, वैसे ही शंख का भी पूजा करें। इस मास में साधारण शंख की पूजा भी पंचजन्य शंख की पूजा के समान फल देती है।

शंख पूजा का महत्व

सभी वैदिक कामों में शंख का विशेष स्थान है। शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला माना गया है, इसी वजह से आरती के बाद श्रद्धालुओं पर शंख से जल छिड़का जाता है। साथ ही शंख को लक्ष्मी का भी प्रतीक माना जाता है, इसकी पूजा महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली होती है। इसी वजह से जो व्यक्ति नियमित रूप से शंख की पूजा करता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं रहती।
ऐसा माना जाता है समुद्र मंथन के समय शंख भी प्रकट हुआ था। विष्णु पुराण में बताया गया है कि देवी महालक्ष्मी समुद्र की पुत्री है और शंख को लक्ष्मी का भाई माना गया है। इन्हीं कारणों से शंख की पूजा भक्तों को सभी सुख देने वाली गई है।
इसलिए भी खास है ये महीना
यदि मार्गशीर्ष मास में कोई श्रद्धालु कम से कम तीन दिन तक ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें तो उसे सभी सुख प्राप्त होते हैं। स्नान करने के बाद इष्ट देवताओं का ध्यान करना चाहिए। फिर विधिपूर्वक गायत्री मंत्र का जाप करें। स्त्रियों के लिए यह स्नान उनके पति की लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य देने वाला है। इस माह में भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है।
 
अगहन मास में क्या करें- क्या नहीं
1. इस पूरे महीने में जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. मार्गशीर्ष मास में अन्न का दान करना सर्वश्रेष्ठ पुण्य कर्म माना गया है। ऐसा करने पर    हमारे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं।
3. इस माह में नियमपूर्वक रहने से अच्छा स्वास्थ्य तो मिलता ही है, साथ में धार्मिक लाभ भी मिलता है।
ये है अगहन मास का महत्व
स्कंदपुराण के अनुसार, भगवान की कृपा प्राप्त करने की कामना करने वाले श्रद्धालुओं को अगहन मास में व्रत आदि करना चाहिए। इस माह में किए गए व्रत-उपवास से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
नदी स्नान से मिलती है श्रीकृष्ण कृपा
इस महीने में नदी स्नान की बड़ी महिमा कही गई है। शास्त्रों के अनुसार, जब गोकुल में असंख्य गोपियों ने श्रीहरि को प्राप्त करने के लिए ध्यान लगाया तब श्रीकृष्ण ने अगहन महीने में विधिपूर्वक नदी स्नान की सलाह दी। इसमें नियमित विधिपूर्वक प्रात: स्नान करने और इष्टदेव को प्रणाम करने की भी बात कही गई है।
कैसे करें नदी स्नान?
मार्गशीर्ष में नदी स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए। स्नान के समय ऊं नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
इसलिए अगहन मास को कहते हैं मार्गशीर्ष
1.अगहन मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे कई कारण हैं। भगवान श्रीकृष्ण की अनेक नामों        से पूजा की जाती है। इन्हीं नामों में से एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का एक नाम है।
2. इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र बताए गए हैं। इन्हीं 27 नक्षत्रों में से एक है मृगशिरा नक्षत्र। इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा गया है।
3. इस माह को मगसर, अगहन या अग्रहायण मास भी कहा जाता है।
श्रीमद्भागवत के अनुसार, श्रीकृष्ण ने कहा है
मासानां मार्गशीर्षोऽहम् ।
अर्थात्:-सभी महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DGRA-aghan-month-start-from-today-15-november-news-hindi-5459179-PHO.html

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