वर्तमान
समय में हर कोई चाहता है कि देवी लक्ष्मी की कृपा उस पर बनी रहे क्योंकि जिस पर भी
देवी लक्ष्मी की कृपा होती है उसके पास जीवन की हर सुख-सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं।
जीवन का हर सुख उसे प्राप्त होता है। यही कारण है कि लोग देवी लक्ष्मी को प्रसन्न
करने के लिए नित नए उपाय करते हैं।
सूर्योदये ह्यस्तमयेपि शायिनं विमुञ्चति श्रीरपि चक्रपाणिम्।।
जो लोग अपनी जरूरत से अधिक भोजन करते हैं वो निश्चित तौर पर अधिक मोटे होते हैं। मोटा शरीर उन्हें परिश्रम करने से रोकता है, वहीं ऐसे शरीर के कारण उन्हें अनेक प्रकार की बीमारियां भी घेर लेती हैं। ऐसे लोग परिश्रम से अधिक भाग्य पर भरोसा करते हैं। जबकि देवी लक्ष्मी ऐसे लोगों के पास रहना पसंद करती हैं जो अपने परिश्रम के बल पर ही आगे बढ़ने की काबिलियत रखते हैं। मोटा शरीर लोगों को अधिक आलसी बना देता है। इसलिए ज्यादा खाने वाले लोगों को देवी लक्ष्मी त्याग देती हैं। अतः जरूरत से अधिक नहीं खाना चाहिए।
सूर्योदय व सूर्यास्त का समय भगवान का स्मरण करने तथा शारीरिक व्यायाम के लिए निश्चित किया गया है। सूर्योदय के समय योग, प्राणायाम व अन्य कसरत करने से शरीर स्वस्थ रहता है। इस समय वातावरण में शुद्ध आक्सीजन रहती है, जो फेफड़ों को स्वस्थ रखती हैं। इसके अतिरिक्त सूर्योदय के समय मंत्र जाप कर भगवान का स्मरण करने से भी अनेक फायदे मिलते हैं। अतः सूर्योदय होने से पहले ही उठ जाना चाहिए।
हिंदू
धर्म ग्रंथों में भी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के अनेक उपाय व रूठने के कई
कारण बताए गए हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार आगे बताए गए 5 काम करने से देवी लक्ष्मी मनुष्य
तो क्या स्वयं भगवान विष्णु का भी त्याग कर देती हैं। इसलिए इन 5 कामों से बचना चाहिए। ये काम इस
प्रकार हैं-
कुचैलिनं
दन्तमलोपधारिणं ब्रह्वाशिनं निष्ठुरवाक्यभाषिणम्।सूर्योदये ह्यस्तमयेपि शायिनं विमुञ्चति श्रीरपि चक्रपाणिम्।।
अर्थात्- 1. मैले वस्त्र पहनने वाले, 2. दांत गंदे रखने वाले,
3. ज्यादा खाने वाले, 4. निष्ठुर (कठोर) बोलने वाले,
5. सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वाले
स्वयं विष्णु भगवान हों तो उन्हें भी देवी लक्ष्मी त्याग देती हैं।
मैले कपड़े पहनना
गरुड़ पुराण के अनुसार
मैले वस्त्र यानी गंदे कपड़े पहनने वालों को देवी लक्ष्मी त्याग देती हैं। कहने का
तात्पर्य है कि यदि आप साफ-स्वच्छ रहेंगे तो लोग आपसे मिलने-जुलने में संकोच नहीं
करेंगे। आपकी जान-पहचान बढ़ेगी। यदि आप कोई व्यापार करते हैं तो जान-पहचान बढ़ने
से आपके व्यापार में भी इजाफा होगा। अगर आप नौकरी करते हैं कि आपकी स्वच्छता देखकर
मालिक भी खुश रहेगा।
इसके विपरीत यदि आप गंदे कपड़े पहनेंगे तो लोग
आपसे दूरी बनाए रखेंगे। कोई आपसे बात करना पसंद नहीं करेगा। ऐसी स्थिति में आपका
व्यापार ठप्प हो सकता है और यदि आप नौकरी करते हैं तो मालिक आपको इस अवस्था में
देखकर नौकरी से भी निकाल सकता है। अतः गंदे कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
दांत गंदे रखने वाले
जिन लोगों के दांत गंदे रहते हैं, देवी लक्ष्मी उन्हें भी छोड़ देती हैं। यहां दांत गंदे रहने का सीधा अर्थ
आपके स्वभाव व स्वास्थ्य से है। जो लोग अपने दांत ठीक से साफ नहीं करते, वे कोई भी काम पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से नहीं कर पाते। इससे उनके आलसी
स्वभाव के बारे में पता चलता है। अपने आलसी स्वभाव के कारण ऐसे लोग अपनी
जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभा पाते।
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यदि देखें तो जिसके
दांत गंदे होते हैं, उसका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता क्योंकि गंदे
दांतों के कारण उन्हें पेट से संबंधित अनेक रोग हो सकते हैं। अतः गंदे दांत होने
से व्यक्ति के आलसी व रोगी होने की संभावना सबसे अधिक रहती है। इसलिए देवी लक्ष्मी
गंदे दांत वाले लोगों का त्याग कर देती हैं।
ज्यादा खाने वालेजो लोग अपनी जरूरत से अधिक भोजन करते हैं वो निश्चित तौर पर अधिक मोटे होते हैं। मोटा शरीर उन्हें परिश्रम करने से रोकता है, वहीं ऐसे शरीर के कारण उन्हें अनेक प्रकार की बीमारियां भी घेर लेती हैं। ऐसे लोग परिश्रम से अधिक भाग्य पर भरोसा करते हैं। जबकि देवी लक्ष्मी ऐसे लोगों के पास रहना पसंद करती हैं जो अपने परिश्रम के बल पर ही आगे बढ़ने की काबिलियत रखते हैं। मोटा शरीर लोगों को अधिक आलसी बना देता है। इसलिए ज्यादा खाने वाले लोगों को देवी लक्ष्मी त्याग देती हैं। अतः जरूरत से अधिक नहीं खाना चाहिए।
निष्ठुर (कठोर) बोलने वाले
जो लोग बिना किसी बात या छोटी-छोटी बातों पर
दूसरों पर चीखते-चिल्लाते हैं,
उन्हें अपशब्द कहते हैं। ऐसे लोगों को भी देवी
लक्ष्मी त्याग देती हैं। जो लोग इस प्रकार का व्यवहार अपने जान-पहचान वाले, नौकर या अपने अधीन काम करने वालों के साथ करते हैं उनका स्वभाव बहुत ही
क्रूर होता है। इनके मन में किसी के प्रति प्रेम या दया नहीं होती।
जिन लोगों के मन में प्रेम या दया का भाव न हो
वो कभी दूसरों की मदद नहीं करते और जो लोग दूसरों की मदद नहीं करते, देवी लक्ष्मी उन्हें पसंद नहीं करती। मन में प्रेम व दया हो तो ही भगवान का
आशीर्वाद बना रहता है। इसलिए निष्ठुर यानी कठोर बोलने वालों लोगों को देवी लक्ष्मी
त्याग देती हैं।
सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वालेसूर्योदय व सूर्यास्त का समय भगवान का स्मरण करने तथा शारीरिक व्यायाम के लिए निश्चित किया गया है। सूर्योदय के समय योग, प्राणायाम व अन्य कसरत करने से शरीर स्वस्थ रहता है। इस समय वातावरण में शुद्ध आक्सीजन रहती है, जो फेफड़ों को स्वस्थ रखती हैं। इसके अतिरिक्त सूर्योदय के समय मंत्र जाप कर भगवान का स्मरण करने से भी अनेक फायदे मिलते हैं। अतः सूर्योदय होने से पहले ही उठ जाना चाहिए।
सूर्यास्त के समय भी
हल्का-फुल्का व्यायाम किया जा सकता है। ये समय भगवान के पूजन के लिए नियत हैं। जो
लोग सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सोते हैं,
वे निश्चित तौर पर आलसी होते हैं। अपने आलसी
स्वभाव के कारण ही ऐसे लोग जीवन में कोई सफलता अर्जित नहीं कर पाते। यही कारण है
कि सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सोने वाले लोगों को देवी लक्ष्मी त्याग देती हैं।
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