उत्तराखंड का हिन्दू संस्कृति और धर्म
में महत्वपूर्ण स्थान है। यहां गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ जैसे कई सिद्ध तीर्थ स्थल हैं। सारी दुनिया में भगवान
शिव के करोड़ों मंदिर हैं परन्तु उत्तराखंड स्थित पंच केदार सर्वोपरि हैं। भगवान
शिव ने अपने महिषरूप अवतार में पांच अंग, पांच
अलग-अलग स्थानों पर स्थापित किए थे। जिन्हें मुख्य केदारनाथ पीठ के अतिरिक्त चार
और पीठों सहित पंच केदार कहा जाता है।
आइए अब जानते है भगवान शिव के पंच केदारों के बारे में-
1.केदारनाथ
यह मुख्य केदारपीठ है। इसे पंच केदार में से प्रथम कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने पर अपने ही कुल के लोगों का वध करने के पापों का प्रायश्चित करने के लिए वेदव्यास जी की आज्ञा से पांडवों ने यहीं पर भगवान शिव की उपासना की थी। तब भगवान शिव ने उनकी तपस्या से खुश होकर महिष अर्थात बैल रूप में दर्शन दिये थे और उन्हें पापों से मुक्त किया था। तब से महिषरूपधारी भगवान शिव का पृष्ठभाग यहां शिलारूप में स्थित है।
2.मध्यमेश्वर
इन्हें मनमहेश्वर या मदनमहेश्वर भी कहा जाता हैं। इन्हें पंच केदार में दूसरा माना जाता है। यह ऊषीमठ से 18 मील दूरी पर है। यहां महिषरूपधारी भगवान शिव की नाभि लिंग रूप में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अपनी मधुचंद्र रात्रि यही पर मनाई थी। यहां के जल की कुछ बूंदे ही मोक्ष के लिए पर्याप्त मानी जाती है।
3.तुंगनाथ-
इसे पंच केदार का तीसरा माना जाता हैं। केदारनाथ के बद्रीनाथ जाते समय रास्ते में यह क्षेत्र पड़ता है। यहां पर भगवान शिव की भुजा शिला रूप में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं पांडवों ने करवाया था। तुंगनाथ शिखर की चढ़ाई उत्तराखंड की यात्रा की सबसे ऊंची चढ़ाई मानी जाती है।
4.रुद्रनाथ-
यह पंच केदार में चौथे हैं। यहां पर महिषरूपधारी भगवान शिव का मुख स्थित हैं। तुंगनाथ से रुद्रनाथ-शिखर दिखाई देता है पर यह एक गुफा में स्थित होने के कारण यहां पहुंचने का मार्ग बेदह दुर्गम है। यहां पंहुचने का एक रास्ता हेलंग (कुम्हारचट्टी) से भी होकर जाता है।
5.कल्पेश्वर-
यह पंच केदार का पांचवा क्षेत्र कहा जाता है। यहां पर महिषरूपधारी भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। अलखनन्दा पुल से 6 मील पार जाने पर यह स्थान आता है। इस स्थान को उसगम के नाम से भी जाना जाता है। यहां के गर्भगृह का रास्ता एक प्राकृतिक गुफा से होकर जाता है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-TID-story-of-panch-kedar-in-uttarakhand-in-hindi-news-hindi-5355444-PHO.html
आइए अब जानते है भगवान शिव के पंच केदारों के बारे में-
1.केदारनाथ
यह मुख्य केदारपीठ है। इसे पंच केदार में से प्रथम कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने पर अपने ही कुल के लोगों का वध करने के पापों का प्रायश्चित करने के लिए वेदव्यास जी की आज्ञा से पांडवों ने यहीं पर भगवान शिव की उपासना की थी। तब भगवान शिव ने उनकी तपस्या से खुश होकर महिष अर्थात बैल रूप में दर्शन दिये थे और उन्हें पापों से मुक्त किया था। तब से महिषरूपधारी भगवान शिव का पृष्ठभाग यहां शिलारूप में स्थित है।
2.मध्यमेश्वर
इन्हें मनमहेश्वर या मदनमहेश्वर भी कहा जाता हैं। इन्हें पंच केदार में दूसरा माना जाता है। यह ऊषीमठ से 18 मील दूरी पर है। यहां महिषरूपधारी भगवान शिव की नाभि लिंग रूप में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अपनी मधुचंद्र रात्रि यही पर मनाई थी। यहां के जल की कुछ बूंदे ही मोक्ष के लिए पर्याप्त मानी जाती है।
3.तुंगनाथ-
इसे पंच केदार का तीसरा माना जाता हैं। केदारनाथ के बद्रीनाथ जाते समय रास्ते में यह क्षेत्र पड़ता है। यहां पर भगवान शिव की भुजा शिला रूप में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं पांडवों ने करवाया था। तुंगनाथ शिखर की चढ़ाई उत्तराखंड की यात्रा की सबसे ऊंची चढ़ाई मानी जाती है।
4.रुद्रनाथ-
यह पंच केदार में चौथे हैं। यहां पर महिषरूपधारी भगवान शिव का मुख स्थित हैं। तुंगनाथ से रुद्रनाथ-शिखर दिखाई देता है पर यह एक गुफा में स्थित होने के कारण यहां पहुंचने का मार्ग बेदह दुर्गम है। यहां पंहुचने का एक रास्ता हेलंग (कुम्हारचट्टी) से भी होकर जाता है।
5.कल्पेश्वर-
यह पंच केदार का पांचवा क्षेत्र कहा जाता है। यहां पर महिषरूपधारी भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। अलखनन्दा पुल से 6 मील पार जाने पर यह स्थान आता है। इस स्थान को उसगम के नाम से भी जाना जाता है। यहां के गर्भगृह का रास्ता एक प्राकृतिक गुफा से होकर जाता है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-TID-story-of-panch-kedar-in-uttarakhand-in-hindi-news-hindi-5355444-PHO.html
पढ़ने में बहुत मजा आया । ऐसे ही लेख देते रहे और हमने भी आपके लिए कुछ लिखा है उत्तराखंड में पंच केदार
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