Thursday, November 24, 2016

शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाते हैं?

शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाते हैं?
शनिवार शनिदेव की आराधना का दिन है। इस दिन शनिदेव के अशुभ फल को शांत करने व शुभ फल को बनाए रखने के लिए विभिन्न पूजन आदि काम किए जाते हैं। साथ ही, इस दिन के लिए कई नियम भी बनाए गए हैं जिससे शनिदेव का बुरा प्रभाव हम पर न पड़े। इन्हीं नियमों में से एक है कि शनिवार के दिन घर में तेल खरीदकर न लाना। शनि को न्यायधिश माना गया है। इसी वजह से यह काफी कठोर ग्रह है। इसकी क्रूरता से सभी भलीभांति परिचित हैं। इसी वजह से सभी का प्रयत्न रहता है कि शनि देव किसी भी तरह से रुष्ट ना हो। शनि गलत काम करने वालों को माफ नहीं करते। जिसका जैसा काम होगा उसे शनि वैसा ही फल प्रदान करता है।

ज्योतिष के अनुसार शनिवार को घर में तेल लेकर नहीं आना चाहिए, क्योंकि तेल शनि को अतिप्रिय है और शनिवार को तेल का दान किया जाना चाहिए। इस दिन तेल घर लेकर आने से शनि का बुरा प्रभाव हम पर पड़ता है। यदि घर के किसी सदस्य पर शनि की अशुभ दृष्टि हो तो उसके लिए यह और भी अधिक बुरा फल देने वाला सिद्ध होगा। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन घर में तेल लेकर न आए, बल्कि तेल का दान करें और शनि देव को तेल अर्पित करें।

सूर्य पुत्र शनि काले क्यों हैं?
सभी देवी-देवताओं में सूर्य का रूप परम तेजस्वी है। सूर्य की पूजा करने से भक्तों का रूप भी उनके जैसा ही तेजस्वी और गौरा हो जाता है। सूर्य देव सभी को तेज प्रदान करते हैं, लेकिन  उनके पुत्र शनि का रूप श्याम वर्ण बताया गया है। सूर्य पुत्र होने के बाद भी शनि का रंग काला है, इस संबंध में शास्त्रों में कथा बताई गई है। कथा के अनुसार सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। सूर्य का रूप परम तेजस्वी था, जिसे देख पाना सामान्य आंखों के लिए संभव नहीं था। इसी वजह से संज्ञा उनके तेज का सामना नहीं कर पाती थी। कुछ समय बाद देवी संज्ञा के गर्भ से तीन संतानों का जन्म हुआ। यह तीन संतान मनु, यम और यमुना के नाम से प्रसिद्ध हैं। देवी संज्ञा के लिए सूर्य देव का तेज सहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा था। इसी वजह से संज्ञा ने अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में लगा दिया और खुद वहां से चली गई। कुछ समय बाद संज्ञा की छाया के गर्भ से ही शनि देव का जन्म हुआ, क्योंकि छाया का स्वरूप काला ही होता है इसी वजह से शनि भी श्याम वर्ण हुए।

शनिवार को व्रत क्यों करते हैं?
सप्ताह के सातों का दिन अपना अलग महत्व रखते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार सभी अलग-अलग देवी-देवताओं की आराधना के लिए निर्धारित किए गए हैं। श्रद्धालु को जिस देवी या देवता का भक्त होता है उसे उनसे संबंधित दिन विशेष पूजा-अर्चना, व्रत-उपवास करने होते हैं। इसी तरह जो भी व्यक्ति शनि देव को प्रसन्न करना चाहता है वह शनिवार का व्रत करता है।
 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव एक क्रूर ग्रह माना गया है। साथ ही शनि को न्यायधीश का पद प्राप्त है। शनि देव ही हमारे कर्मों के अनुसार हमें शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। हमारे अच्छे कार्यों के लिए अच्छे फल व  गलत कार्यों के लिए शनि देव दंड देते हैं। जाने-अनजाने किए गए गलत कार्यों के बुरे फल ही प्राप्त होते हैं। कई लोगों की कुंडली में शनि अशुभ फल देने वाला होता है। इस वजह से व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनि के प्रभाव से विवाह में देरी होती है, धन हानि होती है, समाज में अपमान झेलना पड़ सकता है, चोरी का झूठा आरोप लग सकता है, शारीरिक बीमारी हो सकती है। इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए शनि देव की कृपा प्राप्त करना बहुत जरूरी है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-KAK-shani-dev-and-ritual-news-hindi-5465014-NOR.html

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