सनातन धर्म में भगवान को पुष्प या फूल
चढ़ाने को विशेष महत्व दिया गया है। देवी-देवताओं और भगवान को आरती, व्रत, उपवास या त्योहारों पर फूल
चढाएं जाते हैं। धार्मिक, अनुष्ठान, संस्कार व सामाजिक कार्यों को
बिना फूलों के अधूरा समझा जाता है, लेकिन
फिर भी कम ही लोग ये जानते हैं कि भगवान को फूल क्यों चढाएं जाते है। यदि आप भी
इसका कारण नहीं जानते हैं तो आइए हम आपको बताते हैं क्या कहते हैं धर्मग्रंथ….
हमारे धर्मग्रंथों मे पुष्प के बारे में कहा गया है
पुण्य संवर्धनाच्चापि पापौघपरिहारत। पुष्कलार्थप्रदानार्थ पुष्पमित्यभिधीयते।।
पुष्पैर्देवां प्रसीदन्ति पुष्पै देवाश्च संस्थिता
न
रत्नैर्न सुवर्णेन न वित्तेन च भूरिणा
तथा प्रसादमायाति यथा पुष्पैर्जनार्दन।
अर्थ- देवता लोग रत्न, सुवर्ण, भूरि, द्रव्य, व्रत, तपस्या या और किसी चीज से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना फूल या पुष्प चढ़ाने से होते हैं।
हमारे धर्मग्रंथों मे पुष्प के बारे में कहा गया है
पुण्य संवर्धनाच्चापि पापौघपरिहारत। पुष्कलार्थप्रदानार्थ पुष्पमित्यभिधीयते।।
अर्थ- इसका मतलब है पुण्य को बढ़ाने, पापों को घटाने और फल को देने
के कारण ही इसे पुष्प या फूल कहा जाता है।
दैवस्य
मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा।
अर्थ- देवता का मस्तक या सिर हमेशा
फूलों से सुशोभित रहना चाहिए।पुष्पैर्देवां प्रसीदन्ति पुष्पै देवाश्च संस्थिता
तथा प्रसादमायाति यथा पुष्पैर्जनार्दन।
अर्थ- देवता लोग रत्न, सुवर्ण, भूरि, द्रव्य, व्रत, तपस्या या और किसी चीज से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना फूल या पुष्प चढ़ाने से होते हैं।
फूल
चढ़ाने का ये है बड़ा कारण
मान्यता
है कि पुष्प अर्पित करने से भगवान तुरंत ही प्रसन्न हो जाते हैं। फूलों की सुगंध
से हमारे घर का वातावरण महकता रहता है, जिससे मन को शांति मिलती है।
दिमाग में हमेशा सकारात्मक विचार आते हैं। नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव घर से
नष्ट हो जाता है।
ये
हमें अच्छा जीवन जीने की भी प्रेरणा देते हैं। फूलों का जीवन कम अवधि का होता है, लेकिन फिर भी वे जब तक मुरझा
नहीं जाते तब तक वातावरण में सुगंध फैलाते रहते हैं। इसी प्रकार हमें भी समाज में
ऐसा ही स्वभाव रखना चाहिए जिससे हमारे आस-पास लोगों को सुख की प्राप्ति हो सके।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-GYVG-what-are-the-advantages-of-a-wreath-to-god-5331960-NOR.html
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