Wednesday, October 12, 2016

अगर यहां देवता न करते छल तो फिर रावण को कोई नहीं हरा पाता

आज हिंदू धर्म की दृष्टि से बहुत ही खास दिन है, क्योंकि इसी दिन भगवान राम ने राक्षसराज रावण का वध करके लंका पर विजय पाई थी। रावण बहुत पराक्रमी और ताकतवर था, फिर भी उसे कई बार हार और निराशा का सामना करना पड़ा था। ऐसी ही रावण की हार का एक किस्सा भगवान शिव, विष्णु और भगवान वरुण से जुड़ा हुआ था। यहां पर अपनी पूरी ताकत लगाने पर भी रावण अपने काम में विजय प्राप्त नहीं कर पाया था और आखिरकार उसे हार मानना ही पड़ी थी।

इस तरह हुई थी रावण की हार

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के यहां पर स्थापित होने के पीछे रावण से जुड़ी एक रोचक कहानी है। इसके अनुसाररावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। भगवान शिव के ऐसा कहने पर रावण ने भगवान से उसके साथ लंका चल वहीं पर निवास करने की प्रार्थना की। रावण की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान शिव ने उसे लंका ले जाने के लिए अपना ही एक स्वरूप शिवलिंग दिया और एक शर्त रखी। शर्त यह थी कि रावण जिस भी स्थान पर भगवान का यह लिंग रख देतावो हमेशा के लिए उसी जगह पर स्थापित हो जाएंगे। सभी देवता यह नहीं चाहते थे कि भगवान शिव लंका में निवास करेंअगर ऐसा होता तो श्रीराम कभी रावण का वध नहीं कर पाते। जब रावण शिवलिंग को लेकर लंका जाने लगा तभी जल के देवता वरुण ने छल से रावण को लघु शंका के वेश से परेशान कर दिया। उसी समय भगवान विष्णु ब्राह्मण का रूप धारण करके वहां आ गए। मजबूर होकर रावण को शिवलिंग कुछ समय के लिए उस ब्राह्मण को दे दिया। रावण के वहां से जाते ही ब्राह्मण रूपी विष्णु ने उसे उसी जगह पर स्थापित कर दिया। तब से भगवान शिव उसी स्थान पर वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थित हैं।


खास हैं यह ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग बहुत ही खास है क्योंकि भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे छोटा यही है। कहा जाता है जब ब्राह्मण रूपी भगवान विष्णु ने इसे धरती पर रखा तो यह नीचे धंस गया और भूमि के ऊपर केवल चार ऊंगल ही शेष रहा। इस प्रकार यहां का शिवर्लिंग बाकी ज्योतिर्लिंगों में से सबसे छोटा है।

एक भील ने की थी सबसे पहले वैद्यनाथ की पूजा

जब रावण ने शिवलिंग को धरती पर रखा देखातो उसने उसे वहां से उठाने की बहुत कोशिश की। भगवान शिव अपनी शर्त के अनुसार उसी स्थान पर रहे। बहुत कोशिश करने के बाद रावण वहां से अकेला ही लंका लौट आया। कहा जाता है कि रावण के वहां से चले जाने के बाद बैजू नाम के एक भील ने सबसे पहले उस लिंग को देखा था और उसकी पूजा की थी।

आज ऐसा है वैद्यनाथ मंदिर

वैद्यनाथ धाम में कई मंदिर हैजिनमें से मुख्य मंदिर वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का है। यहां के 24 शिव मंदिरों का घेरा प्रसिद्ध है। जिनमें सबसे मुख्य गौरी मंदिर है। यह मंदिर देवी सती के इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में एक ही सिंहासन पर मां दुर्गा और मां त्रिपुरसुंदरी की दो मूर्तियां विराजमान है।

वैद्यनाथ धाम में हैं और भी कई मंदिर

वैद्यनाथ धाम में भगवान शिव और मां दुर्गा के अलावा कार्तिकेय मंदिरगणपति मंदिरब्रह्मा मंदिरसंध्या मंदिरकालभैरव मंदिरमनसा देवी मंदिर,सरस्वती मंदिरसूर्य मंदिरबगलामुखी देवी मंदिरश्रीराम मंदिरकालिका मंदिरदेवी अन्नपूर्णा मंदिरलक्ष्मी-नारायण मंदिर जैसे कुल 24 मंदिरों का परिक्रमा मार्ग है।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-TID-baidyanath-temple-and-ravan-in-hindi-news-hindi-5434385-PHO.html

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