नवरात्र के नौ दिन माता के सामने अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है। अखंड
ज्योति पूरे नौ दिनों तक अखंड रहनी चाहिए यानी जलती रहनी चाहिए। यह अखंड ज्योति
माता के प्रति हमारी अखंड आस्था का प्रतीक मानी जाती है। यह ज्योति इसलिए भी जलाई
जाती है कि जिस प्रकार विपरीत परिस्थितियों में भी छोटा का दीपक अपनी लौ से अंधेरे
को दूर भगाता रहता है। उसी प्रकार हम भी माता की आस्था का सहारा लेकर अपने जीवन के
अंधकार को दूर कर सकते हैं। मान्यता के अनुसार दीपक या अग्नि के समक्ष किए गए जप
का साधक को हजार गुना फल प्राप्त होता है।
कहा जाता है
दीपम घृत युतम दक्षे,तेल युत: च वामत:।
यानी घी युक्त ज्योति देवी के दाहिनी ओर व तेल युक्त ज्योति देवी के बाई ओर रखनी चाहिए। अखंड ज्योति पूरे नौ दिनों तक अखंड रहनी चाहिए।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-SAS-why-navratri-tredition-of-flame-5141200-NOR.html
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