मंदिर में पूजा व आराधना के बाद
हम मंदिर या प्रतिमा के चारो ओर परिक्रमा करते हैं। सामान्यत: देवी-देवताओं की
परिक्रमा सभी करते हैं, लेकिन
अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि परिक्रमा क्यों की जाती है।
इस संबंध धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान की परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से हमारे पाप खत्म होते है। देवी-देवताओं की कृपा से पैसों की परेशानी से मुक्ति मिलती है और घर-परिवार में प्रेम बना रहता है।
आरती, पूजन और मंत्र जप के असर से मंदिर क्षेत्र में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती रहती है। जब परिक्रमा करते है तो मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा हमें अधिक मात्रा में मिलती है और इसी वजह से श्रद्धालुओं को शांति और सुख का अनुभव होता है। मंदिर से प्राप्त होने वाली सकारात्मक ऊर्जा व दैवीय शक्ति हमें चिंताओं से मुक्त करती है। हमारा मन भगवान की भक्ति में रम जाता है।
परिक्रमा के माध्यम से हम दैवीय शक्ति ग्रहण कर पाते हैं, इसी वजह से परिक्रमा की परंपरा बनाई गई है। जिससे भक्तों की सोच भी सकारात्मक बनती है और बुरे विचारों से मुक्ति मिलती है। प्रतिमा की परिक्रमा करने से हमारे मन को भटकाने वाले विचार खत्म हो जाते हैं और शरीर ऊर्जावान होता है। कार्यों में सफलता मिलती है।
इस संबंध धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान की परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से हमारे पाप खत्म होते है। देवी-देवताओं की कृपा से पैसों की परेशानी से मुक्ति मिलती है और घर-परिवार में प्रेम बना रहता है।
आरती, पूजन और मंत्र जप के असर से मंदिर क्षेत्र में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती रहती है। जब परिक्रमा करते है तो मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा हमें अधिक मात्रा में मिलती है और इसी वजह से श्रद्धालुओं को शांति और सुख का अनुभव होता है। मंदिर से प्राप्त होने वाली सकारात्मक ऊर्जा व दैवीय शक्ति हमें चिंताओं से मुक्त करती है। हमारा मन भगवान की भक्ति में रम जाता है।
परिक्रमा के माध्यम से हम दैवीय शक्ति ग्रहण कर पाते हैं, इसी वजह से परिक्रमा की परंपरा बनाई गई है। जिससे भक्तों की सोच भी सकारात्मक बनती है और बुरे विचारों से मुक्ति मिलती है। प्रतिमा की परिक्रमा करने से हमारे मन को भटकाने वाले विचार खत्म हो जाते हैं और शरीर ऊर्जावान होता है। कार्यों में सफलता मिलती है।
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